पुरातत्व विभाग के पास ही रहेगा प्रबंधन
कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के प्रबंधन का रिमोट भारत सरकार के हाथ ही रहेगा। बृहस्पतिवार को 31 वर्ष से प्रबंधन को लेकर चले आ रहे विवाद में सिविल जज अभिषेक चतुर्वेदी की अदालत ने बौद्ध भिक्षु संघ के उस वाद को खारिज कर दिया, जिसमें दान के धन व चीवर चढ़ाने के अधिकार को भारत संघ व पुरातत्व विभाग से अलग करने की बात कही गई थी।
देवरिया, जागरण संवाददाता। कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के प्रबंधन का रिमोट भारत सरकार के हाथ ही रहेगा। बृहस्पतिवार को 31 वर्ष से प्रबंधन को लेकर चले आ रहे विवाद में सिविल जज अभिषेक चतुर्वेदी की अदालत ने बौद्ध भिक्षु संघ के उस वाद को खारिज कर दिया, जिसमें दान के धन व चीवर चढ़ाने के अधिकार को भारत संघ व पुरातत्व विभाग से अलग करने की बात कही गई थी।
सनद रहे कुशीनगर बौद्ध भिक्षु संघ ने वर्ष 1981 में सिविल जज की अदालत में वाद दाखिल कर यह उद्घोषणा करने का अनुरोध किया था कि भगवान बुद्ध की मूर्ति के प्रबंधन, दान का पैसा व चीवर चढ़ावे में मिले धन पर भारत संघ व पुरातत्व विभाग हस्तक्षेप नहीं करे। उधर भारत संघ व पुरातत्व विभाग ने इसके विरुद्ध जवाबदेही दाखिल कर कहा कि उक्त मंदिर पुरातत्व विभाग व भारत संघ के अधिकार में है। ऐसी स्थिति में किसी अन्य को उसके प्रबंधन का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। मामले के तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कुशीनगर भिक्षु संघ के दावे को निरस्त करते हुए यह निर्णय दिया कि कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध की परिनिर्वाणस्थली के प्रबंधन का सम्पूर्ण अधिकार भारत संघ व पुरातत्व विभाग के पास होगा।
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