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Masik Karthigai 2023: कब है मासिक कार्तिगाई दीपम? जानें-शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

Masik Karthigai 2023 सनातन शास्त्रों में निहित है कि मासिक कार्तिगाई दीपम के दिन देवों के देव महादेव ज्योत रूप में प्रकट हुए थे। अतः मासिक कार्तिगाई पर ज्योत रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Wed, 07 Jun 2023 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2023 12:38 PM (IST)
Masik Karthigai 2023: कब है मासिक कार्तिगाई दीपम? जानें-शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि
Masik Karthigai 2023: कब है मासिक कार्तिगाई दीपम? जानें-शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Masik Karthigai 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृतिका नक्षत्र के दिन मासिक कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो जिस दिन कृतिका नक्षत्र प्रबल होती है। उस दिन मासिक कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। इस प्रकार 15 जून को मासिक कार्तिगाई दीपम है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मासिक कार्तिगाई दीपम के दिन देवों के देव महादेव ज्योत रूप में प्रकट हुए थे। अतः मासिक कार्तिगाई पर भगवान शिव की पूजा ज्योत रूप में होती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की भी पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। मासिक कार्तिगाई दीपम पर तमिलनाडु और श्रीलंका में उत्सव जैसा माहौल रहता है। आइए, मासिक कार्तिगाई के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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कार्तिगाई दीपम

तमिल धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अनादिकाल में ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु के मध्य श्रेष्ठता को लेकर वाक्य युद्ध हो गया। यह देख ऋषि, मुनि समेत देवी-देवता सोच में पड़ गए कि अगर ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु के मध्य श्रेष्ठता को लेकर द्व्न्द लंबे समय तक चलता रहा, तो सृष्टि कौन चलाएगा? ये सोच सभी महादेव के पास कैलाश पर्वत पहुंचें। विषय को जान महादेव ज्योत रूप में प्रकट होने से ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु से बोले- आप दोनों में जो भी ज्योत के आदि या शीर्ष बिंदु पर पहले पहुंचेंगे। उन्हें श्रेष्ठ माना जाएगा। इसके बाद महादेव ज्योत रूप में प्रकट हुए। ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु दोनों असफल रहें। कालांतर से शिव की पूजा ज्योत रूप में भी की जाती है।

पूजा विधि

मासिक कार्तिगाई दीपम के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब आचमन कर सफेद रंग के वस्त्र पहनें। तदोउपरांत, भगवान शिव की पूजा फल, फूल, भांग, धतूरा, धूप, दीप आदि चीजों से करें। अंत में आरती-अर्चना कर महादेव से सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करें। दिनभर उपवास रखें और संध्या काल में आरती कर फलाहार करें। संध्याकाल में आरती के बाद घर में दीप जलाएं।

डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी


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