Abhyanga Snan Shubh Muhurat and Significance: कब है अभ्यंग स्नान, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Abhyanga Snan Shubh Muhurat and Significance दिवाली का त्यौहार बस आने ही वाला है। कुछ ही दिन का समय शेष रह गया है इस त्यौहार में। हमारे देश के कई हिस्सों में जब गोवत्स द्वादशी होती है तभी से दीपावली का त्यौहार खुश हो जाता है।
Abhyanga Snan Shubh Muhurat and Significance: दिवाली का त्यौहार बस आने ही वाला है। कुछ ही दिन का समय शेष रह गया है इस त्यौहार में। हमारे देश के कई हिस्सों में जब गोवत्स द्वादशी होती है तभी से दीपावली का त्यौहार खुश हो जाता है। वहीं, कई जगहों पर धनतेरस से इस त्यौहार की शुरुआत होती है। दिवाली के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अभ्यंग स्नान है। यह नरक चतुर्दशी के दिन किया जाता है। मान्यता है कि अभ्यंग स्नान करने से मन, शरीर और आत्मा पर शांत प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं अभ्यंग स्नान 2020 की तिथि और शुभ मुहूर्त।
अभ्यंग स्नान तिथि और शुभ मुहूर्त:
नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान किया जाता है। इस वर्ष नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से 6:43 बजे के बीच है।
अभ्यंग स्नान का महत्व:
अभ्यंग स्नान एक पवित्र स्नान अनुष्ठान है। इसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली के दिन सुबह किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले तिल के तेल से शरीर की मालिश की जाती है। परंपरागत रूप से, विभिन्न प्रकार की सुगंधित जड़ी-बूटियों और दालों से एक मोटा पाउडर बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल स्नान के लिए किया जाता है। इस लेप को सिर से लेकर पैर तक लगाया जाता है। इससे त्वचा साफ और मॉइस्चराइज होती है। मान्यता है कि इससे पित्त दोष और मृत त्वचा कोशिकाओं से भी छुटकारा मिलता है।
इस परंपरा का महत्व बेहद अधिक है। अभ्यंग स्नान करने से आलस्य और किसी के जीवन से नकारात्मक या बुराई को खत्म किया जाता है। अभ्यंग स्नान बुराई के उन्मूलन का प्रतीक है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार, भगवान कृष्ण को सत्यभामा के हाथों राक्षस नरकासुर का वध होने के बाद उनके क्वींस द्वारा पवित्र स्नान कराया गया था। यह इसलिए किया गया था जिससे श्री कृष्ण के माथे से नरकासुर के खून के दाग हटाए जा सके। उन्होंने दानव पर अपनी पत्नी सत्यभामा की जीत का जश्न मनाया था और इसी खुशी में माथे पर धब्बा लगाया था। आध्यात्मिक रूप से, अभ्यंग स्नान किसी के शरीर और मन से बुराई को हटाने का प्रतीक है।
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