Weekly Vrat Tyohar (15 To 21 August 2022 ): अगस्त के तीसरे सप्ताह में जन्माष्टमी, कालाष्टमी सहित पड़ रहे हैं ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट
August 2022 Third Week Vrat Tyohar 15 अगस्त से शुरू हुए इस सप्ताह में बहुला चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी व्रत सिंह संक्रांति श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दही हांडी जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह पड़ने वाले सभी व्रत त्योहार।
नई दिल्ली, August 2022 Third Week Vrat Tyohar: अगस्त माह के तीसरे सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। इस सप्ताह कई बड़े व्रत- त्योहार पड़ रहे हैं। 15 अगस्त से शुरू हुए इस सप्ताह में बहुला चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी व्रत, सिंह संक्रांति, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, दही हांडी जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। इसके साथ ही इस सप्ताह सूर्य संक्रांति भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य 17 अगस्त को सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है। इसका असर 12 राशि के जातकों के जीवन पर पड़ेगा। जानिए अगस्त माह के तीसरे सप्ताह पड़ने वाले व्रत त्योहार।
अगस्त 2022 तीसरे सप्ताह के व्रत और त्योहार
15 अगस्त 2022, सोमवार- बहुला चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी व्रत
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसे हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इसके साथ ही शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव की पूजा करने के साथ ही व्रत पूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से हर तरह के संकटों से छुटकारा मिल जाता है।
18 अगस्त 2022, गुरुवार- जन्माष्टमी स्मार्त, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग व्रत रखकर मध्य रात्रि को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं।
19 अगस्त 2022, शुक्रवार- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, दही हांडी, कालाष्टमी व्रत
वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा।
दही हांडी
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांडी का पर्व मनाया जाता है। यह उत्सव महाराष्ट्र में सबसे अधिक मनाते हैं।
कालाष्टमी व्रत
प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का व्रत किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार, अष्टमी तिथि के दिन ही भगवान शिव के अंश से ही काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसी कारण अष्टमी तिथि को कालाष्टमी, काल भैरवाष्टमी या भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
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