Vrishabha Sankranti 2020: आज वृषभ संक्रांति पर क्या करना चाहिए, जानें- व्रत करने से क्या होता है लाभ
Vrishabha Sankranti 2020 ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने पितरों को तर्पण नहीं करता है और न ही उनकी मुक्ति के लिए पिंडदान करता है उसे पितृ दोष लग जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vrishabha Sankranti 2020: हिंदी पंचांग अनुसार, साल के दूसरे महीने यानि ज्येष्ठ महीने में वृषभ संक्रांति मनाई जाती है। इस साल 14 मई को वृषभ संक्रांति है। अन्य संक्रांति की तरह वृषभ संक्रांति के दिन भी पूजा, जप, तप, स्नान, ध्यान और दान किया जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ का अर्थ वृष से है, जिसे हिंदी भाषा में बैल कहा जाता है। भगवान शिव जी की सवारी नंदी (बैल) है। धार्मिक मान्यता है कि वृषभ संक्रांति के दिन गौ दान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है
धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होने की क्रिया को मोक्ष कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने पितरों को तर्पण नहीं करता है और न ही उनकी मुक्ति के लिए पिंडदान करता है, उसे पितृ दोष लग जाता है। इससे उस व्यक्ति के जीवन में अनचाही घटनाएं घटती रहती हैं। पितृ दोष से बचने के लिए संक्रांति, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन तर्पण जरूर करना चाहिए।
तिथि और समय
इस साल 14 मई को वृषभ संक्रांति है। जबकि संक्रांति के दिन स्नान-ध्यान का समय सुबह से शाम तक है। आप इस दौरान पूजा-उपवास कर सकते हैं।
वृषभ संक्रांति के दिन क्या करें
सूर्योदय से पहले उठें और फिर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और फिर अपने पितरों को तर्पण दें। आप चाहे तो इस दिन उपवास भी कर सकते हैं। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु जी और शिव जी की पूजा आराधना करें। इस साल विशेष संयोग बन रहा है जब गुरुवार के दिन वृषभ संक्रांति है। पूजा संपन्न करने के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें। इस दिन घर के बाहर प्याऊ जरूर लगाएं। इस दिन प्यासे को शरबत अथवा पानी पिलाना बहुत शुभ होता है।