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Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा व्रत, जानें-व्रत विधि और शुभ मुहूर्त

Vat Purnima Vrat 2020यह पर्व खासकर पश्चिम भारत के गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जबकि उत्तर भारत में इसे ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 12:19 PM (IST)
Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा व्रत, जानें-व्रत विधि और शुभ मुहूर्त
Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा व्रत, जानें-व्रत विधि और शुभ मुहूर्त

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vat Purnima Vrat 2020: हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत मनाया जाता है। इस साल वट पूर्णिमा व्रत 5 जून को है। यह पर्व खासकर पश्चिम भारत के गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जबकि उत्तर भारत में इसे ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाते हैं। इस दिन स्त्रियां अपने पति की अच्छी सेहत और लंबी उम्र ( दीर्घायु ) के लिए वट वृक्ष और यमराज की पूजा उपासना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि सावित्री पतिव्रता की पराकाष्ठा पर खड़ी होकर अपने पति को यमराज के प्रणपाश से छुड़ाकर ले आई थी।

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वट पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त

इस दिन शुभ मुहूर्त 5 जून को रात्रि में 3 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 6 जून की मध्य रात्रि में 12 बजकर 41 मिनट को समाप्त हो रहा है। अतः व्रती 5 जून को दिन में किसी समय श्रद्धापूर्वक वट वृक्ष, यमराज और सावित्री माता की पूजा कर सकते हैं।

वट पूर्णिमा पूजा विधि

व्रती को चतुर्दशी के दिन से तामसी भोजन और तामसी प्रवृति का त्याग करना चाहिए। इसके अगले यानी पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले आराध्य देव का स्मरण करना चाहिए। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब स्वच्छ वस्त्र एवं सोलह श्रृंगार धारण करें। इस दिन पीला सुंदर और पीला वस्त्र (साड़ी ) धारण करना अति शुभ माना जाता है। अब सूर्य देव और वट वृक्ष को जल का अर्घ्य दें।

इसके पश्चात वट वृक्ष की पूजा फल, फल, पूरी-पकवान, धूप-दीप, अक्षत, चंदन और दूर्वा से करें। अब रोली यानी रक्षा सूत्र की मदद से वट वृक्ष का 7 या 11 बार परिक्रमा करें। इसके पश्चात, पंडित जी से वट सावित्री का कथा श्रवण करें। अंत में वट वृक्ष और यमराज से घर में सुख, शांति और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। पंडित जी को दान दक्षिणा देकर पूजा सम्पन्न करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में फलाहार करें। अगले दिन व्रत खोलें।


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