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Varuthini Ekadashi 2020: आज है वरूथिनी एकादशी, जानें व्रत, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, पारण समय एवं महत्व

Varuthini Ekadashi 2020 वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी वरूथिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है जो आज 18 अप्रैल दिन शनिवार को है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 09:46 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 07:15 AM (IST)
Varuthini Ekadashi 2020: आज है वरूथिनी एकादशी, जानें व्रत, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, पारण समय एवं महत्व
Varuthini Ekadashi 2020: आज है वरूथिनी एकादशी, जानें व्रत, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, पारण समय एवं महत्व

Varuthini Ekadashi 2020: वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी वरूथिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है, जो आज 18 अप्रैल दिन शनिवार को है। वरूथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वरूथिनी एकादशी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को 10 हजार वर्षों तक की तपस्या का फल और पुण्य प्राप्त होता है, साथ ही व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष वरूथिनी एकादशी के व्रत एवं पूजा का मुहूर्त, मंत्र, विधि, पारण समय एवं महत्व क्या है?

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वरूथिनी एकादशी मुहूर्त

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का प्रारंभ 17 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार शाम 08 बजकर 03 मिनट पर हो रहा है, जो 18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार को रात 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में वरूथिनी एकादशी का व्रत शनिवार को रखा जाएगा।

व्रत का पारण समय

पारण करने का समय 19 अप्रैल 2020 दिन रविवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक है। आपको इस समय काल में ही पारण कर व्रत को पूर्ण करना है।

व्रत एवं पूजा विधि

एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर हाथ में जल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। सुबह 07:29 बजे से 09:06 बजे के मध्य पूजा संपन्न करें। यह फलदायी और मंगलकारी होगा। पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। अब शुभ समय में उनका गंगा जल से अभिषेक कराएंं। अब उनको पीले फूल, अक्षत्, धूप, चंदन, रोली, दीप, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें। इसके बाद श्रीहरि को पीले मिष्ठान या चने की दाल तथा गुड़ का भोग लगाएं।

इसके बाद आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मीकान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

अब भगवान विष्णु की आरती करें। इसके पश्चात दिनभर फलाहार करते हुए भगवत वंदन करें। रात्रि में श्री हरि कथा का पाठ, भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। अगले दिन द्वादशी को भगवान विष्णु की पूजा करें। ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें। फिर पारण के समय में पारण कर व्रत को पूरा करें।

व्रत में क्या करें, क्या न करें

1- एकादशी व्रत में नमक का प्रयोग भूलकर भी न करें।

2- व्रत करने वाले को काम भाव और भोग विलास से स्वयं को दूर रखना चाहिए।

3- व्रत में मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहें।

4- किसी के प्रति मन में द्वेष, घृणा आदि का भाव न लाएं।


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