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Varalaxmi Vrat 2020: धन-समृद्धि की देवी वरलक्ष्मी का इस तरह करें व्रत, पढ़ें पूजा-विधि

Varalaxmi Vrat 2020 कल यानी शुक्रवार को वरलक्ष्मी का पवित्र व्रत रखा जाता है। इस दिन वरलक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। ये धन और समृद्धि की देवी हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 05:00 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 01:43 PM (IST)
Varalaxmi Vrat 2020: धन-समृद्धि की देवी वरलक्ष्मी का इस तरह करें व्रत, पढ़ें पूजा-विधि
Varalaxmi Vrat 2020: धन-समृद्धि की देवी वरलक्ष्मी का इस तरह करें व्रत, पढ़ें पूजा-विधि

Varalaxmi Vrat 2020: आज शुक्रवार को वरलक्ष्मी का पवित्र व्रत रखा जाता है। इस दिन वरलक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। ये धन और समृद्धि की देवी हैं। मान्यता है कि देवी वरलक्ष्मी का रूप वरदान देने वाला होता है इसलिए उन्हें वर और लक्ष्मी के तौर पर जाना जाता है। मां अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यह व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष में किया जाता है। ये व्रत राखी और श्रवण पूर्णिमा से कुछ ही दिन पहले किया जाता है। इस व्रत को करने से परिवार की दरिद्रता दूर होती है। अगर आप कल इस व्रत को करना चाहते हैं तो यहां हम आपको इस पूजा की विधि बता रहे हैं।

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वरलक्ष्मी व्रत की सामग्री:

देवी वरलक्ष्मी जी की प्रतिमा, कुमकुम, हल्दी, फूल माला, विभूति, शीशा, कंघी, चंदन चूर्ण पाउडर, आम पत्र, फूल, पान के पत्तों, पंचामृत, दही, केला, दूध, पानी, अगरबत्ती, मोली, धूप, कर्पुर, छोटा पूजा घंटी, प्रसाद, तेल दीपक, अक्षत।

वरलक्ष्मी की ऐसे करें पूजा:

वरलतक्ष्मी की पूजा के दिन जो व्यक्ति व्रत कर रहा है उसे सुबह-सुबह उठ जाना चाहिए। घर की सफाई समेत अन्य कामों के निवृत हो जाएं। इसके बाद जहां पूजा करनी है उस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर दें। इसके बाद ही व्रत का संकल्प लें। फिर मां लक्ष्मी की मूर्ति को नए कपड़ें पहनाएं। जेवर और कुमकुम से मां की प्रतिमा को सजाएं। फिर पटरी पर गणेशजी के साथ मां लक्ष्मी की प्रतिमा रख दें। इन्हें पूर्व दिशा में रखें। पूजा स्थल पर थोड़ा-सा चावल फैला दें। फिर एक कलश में जल भरें और उसे चावल पर रख दें। इसके बाद कलश के तारों तरफ चन्दन लगा दें।

इसके बाद कलश के पास पान, सुपारी, सिक्का, आम के पत्ते आदि सामाग्री को रख दें। फिर नारियल पर चंदन, हल्दी, कुमकुम लगाएं। इस नारियल को कलश पर रख दें। फिर एक थाली लें। इसमें लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीप, धुप आदि रखें। इसी से मां लक्ष्मी की पूजा करें। मां के सामने दिया जलाएं। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें। पूजा पूरी होने के बाद सभी महिलाओं में प्रसाद बांटे। इस दिन जो व्रत कर रहा है उसे निराहार रहना चाहिए। वहीं, अगर मां की आरती के बाद फलाहार किया जाए तो यह उचित माना जाता है।  


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