Vaishakh Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की पूजा करने से बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय
Vaishakh Purnima 2022 वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं चंद्रोदय का सही समय के साथ शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
नई दिल्ली, Vaishakh Purnima 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा के के दिन चंद्रमा देव के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। क्योंकि इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती है। ऐसे में चंद्र देव की विधिवत तरीके से पूजा करने चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। लेकिन भारत में दिखाई न देने के कारण सूतक काल मान्य नहीं है। जानिए वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय, पूजा विधि।
वैशाख पूर्णिमा 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 15 मई दिन रविवार को दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि का समापन -16 मई दिन सोमवार को सुबह 09 बजकर 44 मिनट तक
जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत, लक्ष्मी पूजन करता है तो 16 मई को करें।
सर्वार्थ सिद्धि योग- दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 17 मई सुबह 05 बजकर 29 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
विजय मुहूर्त -दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से लेकर 03 बजकर 28 मिनट तक
वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय
वैशाख पूर्णिमा की शाम चंद्रोदय 07 बजकर 24 मिनट पर होगा और चंद्रास्त 17 मई सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
वैशाख पूर्णिमा पर ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन
इस दिन गंगा स्नान करने का काफी अधिक महत्व है। अगर नदी में जाकर स्नान नहीं कर पा रहे है तो घर में ही नहाने वाले पानी थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करें। पूजा घर में या फिर एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या तस्वीर रखें। इसके बाद मां को लाल रंग के फूल, सिंदूर, सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें और दीपक का दीपक जलाएं। अब मां लक्ष्मी के मंत्र, चालीसा का पाठ करने के बाद विधिवत तरीके से आरती कर लें।
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