स्वर्ग के खुल जायेंगे द्वार अगर वैकुंट एकादशी पर पूजा करेंगे इस प्रकार
नववर्ष से ठीक दो दिन पहले पड़ रही है वैकुंठ एकादशी ये फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की एकादशी होती है। इसे पङ्कोद्धार एकादशी या विजया एकादशी भी कहते हैं।
ऐसे करें पूजा
29 दिसंबर 2017 यानि आज नव वर्ष के ठीक दो दिन पूर्व वैकुंठ एकादशी का शुभ पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ये पूजा सुबह और शाम दोनों वक्त की जाती है। यानि अगले दिन द्वादशी को भी पूजा की जाती है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की धूप, दीप तथा चंदन से उनकी पूजा की जानी चाहिए। तुलसी पत्र अर्पित करते हुए विष्णु जी को भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवत गीता व श्री सुक्त का पाठ किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु को कमल के फूल अतिप्रिय हैं। इसलिए जो भक्त कमल के फूल से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं वह वैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। इस दिन खिचड़ी बनती है, फिर उसका घी और आम के अचार के साथ भोग लगाकर वही प्रसाद रूप में खखाया जाता है।
खुल जाता है स्वर्ग का द्वार
हिन्दु पंचांग के अनुसार वैकुंठ एकादशी का दिन बेहद शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन श्रीहरि विष्णु के निवास यानी वैकुंठ के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए आज के दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्त होती है और वैकुंठ एकादशी का व्रत करने वाले सीधे स्वर्ग में जाते हैं। तमिल पंचांग के अनुसार इसे धनुर्मास या मार्गाज्ही मास भी कहते हैं। वैकुंठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और केरल में इसे स्वर्ग वथिल एकादशी कहते हैं।
वैकुंठ एकादशी की कथा
मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। पुराणों में मिली कथा के अनुसार सीता का पता लगाने के लिए श्री रामचन्द्र वानर सेना के साथ समुद्र के उत्तर तट पर खड़े थे और रावण जैसे बलवान शत्रु और सागर की गम्भीरता को लेकर चिन्तित थे। इसके पार पाने के उपाय के रूप में मुनियों ने उन्हें वैकुंठ एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। इसी व्रत के प्रभाव से उन्होंने सागर पार करके रावण का वध किया था।