Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2019: पुत्रदा एकादशी के दिन सुनें यह कथा, मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ
Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2019 व्रत करने वाले व्यक्ति को पूजा के बाद श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए ऐसा करने से व्रत पूर्ण होता है.
Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2019: श्रावण पुत्रदा एकादशी 11 अगस्त दिन रविवार को है। हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और निर्जला व्रत रहा जाता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को पूजा के बाद श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए, ऐसा करने से व्रत पूर्ण होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावतीपुरी नगर में सुकेतुमान नाम के एक राजा थे। विवाह के काफी समय बाद भी उनकी संतान नहीं हुईं, जिससे राजा और रानी दोनों दुखी और चिंतित थे। राजा को इस बात की चिंता सताती थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा और उनके पितरों का तर्पण कौन करेगा?
इसी सोच में डूबे राजा एक दिन घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। कुछ समय बाद वह घने जंगल के बीच में पहुंच गए। तभी उनको प्यास लगने लगी, तो वे जल की तलाश में एक तालाब के पास पहुंच गए। वहां उनको कुछ ऋषियों के आश्रम दिखाई दिए। तब उन्होंने जल ग्रहण किया और ऋषियों के आश्रम में चले गए। उन्होंने वेदपाठ कर रहे ऋषि-मुनियों को प्रणाम किया।
उसके बाद राजा ने ऋषियों से वहां वेदपाठ करने का कारण पूछा। तब उन्होंने बताया कि आज पुत्रदा एकादशी है, जो व्यक्ति व्रत रखता है और पूजा करता है, तो उसे निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है। तब राजा सुकेतुमान ने पुत्रदा एकादशी व्रत रखने का प्रण किया। पुत्रदा एकादशी के दिन राजा ने व्रत रखा, भगवान विष्णु के बाल गोपाल स्वरूप की अराधना की। सुकेतुमान ने द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से सुकेतुमान की पत्नी गर्भवती हो गई और उसने एक सुंदर संतान को जन्म दिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति पुत्रदा एकादशी की व्रत रखता है, उसे सुकेतुमान जैसे ही पुत्र की प्राप्ति होती है। इस व्रत के कथा को सुनने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
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