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Shani Pradosh Vrat 2020: आज है शनि प्रदोष व्रत, संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

Shani Pradosh Vrat 2020 आज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। आज शनिवार दिन होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 10:08 AM (IST)
Shani Pradosh Vrat 2020: आज है शनि प्रदोष व्रत, संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
Shani Pradosh Vrat 2020: आज है शनि प्रदोष व्रत, संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

Shani Pradosh Vrat 2020: आज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। आज शनिवार दिन होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत है। आज के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान से आराधना की जाती है, उनकी ​कृपा से संतानहीन लोगों को संतान की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों को उनके सभी पापों से मुक्त कर देते हैं और उनके लिए मोक्ष का द्वार खुल जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से दो गायों का दान करने के बराबर पुण्य लाभ होता है।

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शनि प्रदोष मुहूर्त

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ आज सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर हुआ है, जो रविवार 08 मार्च को प्रात:काल 06 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। आज सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 25 मिनट पर होगा, इसके बाद शाम के समय में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करें।

प्रदोष काल का अर्थ

प्रदोष काल का अर्थ सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का समय। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से 96 मिनटों का होता है। प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रदोष काल में ही भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

शनि प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

त्रयोदशी तिथि की सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान शिव को स्मरण करके प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद उनकी पूजा करें और दिनभर फलाहार करें। सूर्यास्त के बाद स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब शनि प्रदोष मुहूर्त में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की तैयारी करें।

पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। भगवान शिव शंकर को पुष्प, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें। फिर गंगाजल से उनका जलाभिषेक करें। इसके बाद ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें। फिर शिव चालीसा का पाठ कर अंत में आरती करें और परिजनों में प्रसाद बाटें।


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