Sawan Jalabhishek 2020: कोरोना काल में घर पर ऐसे करें भगवान शिव का जलाभिषेक, जानें सामग्री और मंत्र
Sawan Jalabhishek 2020 आज हम आपको बताते हैं कि आप सावन मास में घर पर ही भगवान शिव का अभिषेक और पूजा कैसे कर सकते हैं।
Sawan Jalabhishek 2020: आज से सावन माह का प्रारंभ हो चुका है। आजकल लोग कोरोना काल में समाजिक दूरी बनाए हुए हैं, जोकि परिस्थिति को देखते हुए जरुरी भी है। मंदिरों के कपाट खुल गए हैं, लेकिन वहां भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया जा रहा है। ऐसे में काफी लोगों को मंदिर जाने का मौका नहीं मिलेगा या फिर ज्यादा भीड़ को देखते हुए परहेज कर सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आप सावन मास में घर पर ही भगवान शिव का अभिषेक और पूजा कैसे कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य मृत्युंजय ओझा के अनुसार, यह आप पूजा श्रावण महीने के हर सोमवार को कर सकते हैं। वैसे तो ये पूजा सभी लोग कर सकते हैं, लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से ऐसे लोग, जिनकी कुंडली में चन्द्रमा-राहु या चन्द्रमा-केतु का ग्रहण दोष और पितृ दोष हो या चन्द्रमा-शनि का विष दोष, चन्द्रमा कुंडली के छठे, आठवे या बारहवे भाव में बैठा हो या आपकी कुंडली में चन्द्रमा किसी भी तरह से पाप ग्रहों जैसे राहु, केतु या शनि से पीड़ित हो तो, ये पूजा आपके लिए बहुत ही अच्छे प्रभाव देगी। कुंडली में चन्द्रमा के पीड़ित होने से अवसाद, शुगर, पाचन शक्ति प्रभावित होना या किसी और तरह की हार्मोनल बीमारियां होने की सम्भावना रहती है।
भगवान शिव के अभिषेक की सामग्री
यदि आपके पास घर पर शिवलिंग है या पास के किसी छोटे मंदिर में जा सकते हैं तो अभिषेक के लिए निम्न सामग्री रख लें। बिना उबला हुआ गाय का दूध, गुलाबजल, दही, चन्दन, घी, फूल, गंगाजल (सामान्य जल भी ले सकते हैं), अगरबत्ती, दीपक, गुड़, मौली, बेल पत्र, शहद, पान का पत्ता, नारियल और धतुरा। आप कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा सामग्री की व्यवस्था कर लें और अगर कुछ वस्तुएं नहीं भी कर पाते हैं, तो कोई बात नहीं, जो व्यवस्था कर पाए हैं उनसे ही अभिषेक करें।
भगवान शिव के अभिषेक की विधि
सबसे पहले गंगाजल मिले पानी से स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। अब शिवलिंग को सामान्य जल या गंगाजल से स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शहद और गुड़ का मिश्रण बना लें और इससे भगवन शिव को स्नान कराएं। इसके बाद एक स्वच्छ कपड़े से ये मिश्रण साफ कर दें और उनको चन्दन का लेप लगाएं। इसके पश्चात फूल, बेल पत्र, धतुरा और मौली चढ़ाएं। अब अगरबत्ती या दीपक जलाएं तथा गुड़ या कोई मिठाई चढ़ाएं। साथ में पान और नारियल भी अर्पित कर दें। इसके पश्चात महामृत्युंजय मंत्र पढ़ते हुए भगवान् शिव से आशीर्वाद लें।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।।
अंत में दीपक के साथ भगवान् शिव की आरती करें तथा शाम को शिव चालीसा भी पढ़ सकते हैं।
12 शिवलिंगों का मंत्र:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च, श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ॐ कारममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैधनाथ च, डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं, नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं, त्र्यंबकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं, धुश्मेशं च शिवालये॥
ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि, सायंप्रात: पठेन्नर।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
भगवान शिव के अभिषेक के समय आप 12 शिवलिंगों के मंत्र का भी उच्चारण करें, तो यह उत्तम है।