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Puja Path Niyam: जमीन पर बैठकर क्यों नहीं करनी चाहिए पूजा, आसन का इस्तेमाल करने समय इन नियमों का रखें ध्यान

पूजा के समय आसन पर बैठना अपनी परंपरा के प्रति श्रद्धा दिखाने का एक तरीका है। आसान पर बैठकर पूजा करने से आप भारत की आध्यात्मिक विरासत से जुड़े रहते हैं। नियमानुसार पूजा-पाठ करने से घर की खुशहाली बनी रहती है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiPublished: Sat, 27 May 2023 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2023 06:37 PM (IST)
Puja Path Niyam: जमीन पर बैठकर क्यों नहीं करनी चाहिए पूजा, आसन का इस्तेमाल करने समय इन नियमों का रखें ध्यान
Puja Path Niyam हमेशा आसन पर बैठकर करनी चाहिए पूजा।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Puja Path Niyam: भगवान को प्रसन्न करने के लिए और मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए लोग पूजा-पाठ करते हैं। पूजा-पाठ के समय कुछ नियमों का ध्यान रखना जरूरी है। वरना पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। इन्ही में से एक नियम है कि हमेशा आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में इसके कई फायदे भी बताए गए हैं।

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क्या हैं आसन पर बैठने के फायदे

पूजा के दौरान आसन का इस्तेमाल करने से शरीर को आराम मिलता है। विशेषकर जब आप किसी लम्बे अनुष्ठान के लिए बैठते हैं तो इससे शारीरिक आराम मिलता है। जिससे आपका पूरा ध्यान पूजा पर बना रहता है। पूजा-पाठ करते समय पवित्रता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आसन का इस्तेमाल करने से पूजा के दौरान पवित्रता बनी रहती है। इससे व्यक्ति, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वस्छता की स्थिति में बना रहता है।

क्यों न करें जमीन पर बैठकर पूजा

पूजा के समय स्वस्छता बनाए रखना जरूरी है। सीधे जमीन पर बैठकर पूजा करने से व्यक्ति की स्वच्छता भंग होती है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि जमीन पर बैठकर पूजा करने से व्यक्ति के शरीर में उत्पन्न हुई ऊर्जा जमीन द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूजा के दौरान सूती, रेशमी या ऊनी आसन का प्रयोग करना अच्छा रहता है। आसन हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए।

किन बातों का रखें ध्यान

आसन का प्रयोग करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे की पूजा के दौरान एक व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए आसन को कोई दूसरा व्यक्ति प्रयोग में न लाए। पूजा करने के बाद आसान को उसी जगह पर रखकर न छोड़ें बल्कि, उसे उचित स्थान पर रखना चाहिए। पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले आसन को किसी और काम में नहीं लेना चाहिए। और न ही कभी पूजा के बाद सीधे आसन छोड़ देना चाहिए। थोड़ा सा जल भूमि पर अर्पित करके धरती को प्रणाम करें उसके बाद आसन छोड़े।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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