5 जनवरी को पौष आैर शनिचरी अमावस्या का विशेष योग जाने क्या है इसका महत्व
पंडित दीपक पांडे बता रहे हैं कि जनवरी 2019 के पहले शनिवार को पौष आैर शनि अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है इसलिए इस दिन पूजा का भी अत्याधिक महत्व है।
खास है ये संयोग
वैदिक पंचांग बताता है कि पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। इस माह में यूं तो सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है, परंतु इस अमावस्या का सर्वाधिक महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन धार्मिक कार्य करने चाहिए जिसमें मुख्य रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध होता है। इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए उपवास भी रखा जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि 2019 में पौष माह की अमावस्या 5 जनवरी आैर इस दिन शनिवार भी है। इसलिए शनिश्चरी अमावस्या हो गर्इ है जिससे इसका महत्व आैर बढ़ गया है। इस दिन पित्तरों गरीबों को दान आैर पवित्र नदीयों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
2019 में पड़ेंगी दो पौष अमावस्या, फिर करना होगा 1 साल का इंतजार
एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वैसे तो किसी भी साल में पौष अमावस्या का संयोग यूं भी दुर्लभ होता है। ऐसे में वर्ष 2019 में पौष अमावस्या दो-दो बार यानी 5 जनवरी और 26 दिसंबर को पड़ेगी। ये एक दुर्लभ घटना है, आैर उससे भी खास बात यह है कि इसके बाद 2020 के पौष माह एक भी अमावस्या की तिथि ही नहीं पड़ेगी। यानि अगर आपको पौष अमावस्या पर कोई विशेष पूजा करके पुण्य प्राप्त करना है तो उसके लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा। अगर एेसा नहीं कर पाए तो अापको 2021 तक इंतजार करना पड़ेगा। 2021 में बुधवार 13 जनवरी को पौष अमावस्या पड़ेगी।
एेसे करें पूजन
पौष अमावस्या पर पूजा के दौरान पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देें आैर फिर पितरों का तर्पण करें। सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तांबे के पात्र में शुद्ध जल लें आैर उसमें ल चंदन और लाल रंग के फूल डालें। पितरों की शांति के लिए उपवास करें और गरीबों को दान दें। जिनकी कुंडली में पितृ दोष और संतान हीनता का योग है, वे पौष अमावस्या का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करें। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करने का भी महत्व है, विशेष रूप से इस बार क्योंकि ये शनिचरी अमावस्या भी है आैर शनि पूजा में भी पीपल का महत्व होता है। तुलसी के पौधे की परिक्रमा भी करें।