Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी कब? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Nirjala Ekadashi 2022 सभी एकादशियों में से सर्वश्रेष्ठ निर्जला एकादशी को माना जाता है। इस दिन व्रत बिना जल पिए पूरे 24 घंटे का व्रत रखता है। जानिए निर्जला एकादशी की तिथि शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि
नई दिल्ली, Nirjala Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी पड़ती है। इसी आधार में माह में 2 एकादशी पड़ती है। जिसमें एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह एकादशी भगवान विष्णु को सबसे प्रिय एकादशी में से एक है। इसी कारण इसे सर्वश्रेष्ठ एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ निर्जला व्रत रखा जाता है। जानिए निर्जला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
निर्जला एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी तिथि- 10 जून 2022, शुक्रवार
एकादशी तिथि प्रारंभ- 10 जून सुबह 7 बजकर 25 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त- 11 जून सुबह 5 बजकर 45 मिनट में समाप्त
पारण का समय- 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट' से 8 बजकर 29 मिनट तक।
निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी का व्रत काफी कठिन माना जाता है। क्योंकि यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है जो द्वादशी को सूर्योदय के समाप्त होता है। इन 24 घंटे में एक बूंद भी पानी नहीं पिया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर पापों से मुक्ति मिल जाती है।
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करके हुए व्रत का संकल्प ले लें। अब भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें। एक चौकी फिर पूजा घर में ही पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद फूल की मदद से जल अर्पित करके शुद्धि करें और आसन बिछाकर बैठ जाएं अब भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले पीले रंग के फूल और माला चढ़ाएं। इसके बाद पीले रंग का चंदन, अक्षत आदि लगा दें। इसके साथ ही भोग और तुलसी दल चढ़ा दें। अब घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु भगवान के मंत्र का जाप कर लें। अंत में विधिवत आरती कर लें और दिनभर दूसरे दिन तक सूर्योदय होने के बाद ही जल का सेवन करें।
Pic Credit- instagram/devotional_modern_
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