नव संवत्सर में इस बार कौन हैं राजा और मंत्री, साथ ही कैसा होगा साल का मिजाज
Nav Samvatsar 2019 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के साथ नव संवत्स्र का भी आरंभ हो रहा है। जानें कौन से ग्रह हैं इस वर्ष के राजा और मंत्री जिनके प्रभाव से देश काल की गतिविधियां तय हों
6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के साथ नव संवत्स्र का भी आरंभ हो रहा है। जानें कौन से ग्रह हैं इस वर्ष के राजा और मंत्री, जिनके प्रभाव से देश काल की गतिविधियां तय होंगी।
पिता और पुत्र का जोड़
इस वर्ष का हाल पिछले संवत्सर 2075 से बिलकुल उल्टा है पर ग्रहों का गठजोड़ वही है। हालाकि सूर्य के अपने पुत्र शनि से कभी भी मधुर संबंध नहीं रहे, परंतु फिर भी उनका संतान और पिता का संबंध तो है ही और ये ही खट्टा मीठा रिश्ताफ एक बार फिर नये संवत का विशेष आर्कषण है। पंडित दीपक पांडे ने बताया इस बार 2076 नवसंवत्सार के रूप में प्रारंभ हो रहा है और इसके राजा शनिदेव हैं जबकि मंत्री सूर्य देव होंगे।
विरोधकृत संवत्सर
दो विपरीत पहचान रखने वाले ग्रहों के साथ चलने वाला ये संवत्सेर इसीलिए विरोधकृत कहलायेगा। इसी के प्रभाव के कारण शनि के राजा होने से अमित्र राष्ट्रों से तनाव बढ़ेगा और युद्ध जैसी स्थितियां बनेंगी। साथ ही चोरी, डकैती, अराजकता और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। जबकि शनि के आधीन मंत्री सूर्य देव के होने के चलते सत्ता पक्ष के लोगों में तालमेल की कमी दिखेगी, योजनायें पूरी नहीं होंगी, छदम आचरण होगा जिस कारण सरकारें अस्थिर रहेंगी परंतु न्याय पालिका का वर्चस्व बढ़ेगा। कुछ अप्रत्याजशित परिवर्तन सामाजिक और राजनीतिक स्तिर पर देखने को मिल सकते हैं।
चंद्र और सूर्य कैलेंडर का अंतर
नव संवत्सर का आरंभ चंद्र और सौर दो कलैंडर के चलते दो तरह से गणना में आता है। चैत्र माह की प्रतिपदा से भारतीय नव वर्ष यानी कि नव संवत्सर की शुरुआत होती है। इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस दिन से ही नया वर्ष प्रारंभ होता है। खास बात तो यह है कि अंग्रेजी कैलेंडर की तरह हिन्दू कैलेंडर में 12 महीने होते हैं। इसमें महीने में दो पखवाड़े 15-15 दिन के होते है।