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Muharram 2021 : जानिये कैसे हुई हिजरी कैलेंडर की शुरुआत, इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम का महत्व

Islamic History Aur Muharram इस्लाम मज़हब में मु हर्रम को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में इस्लामिक इतिहास की कई घटनाएं घटित हुई है। हालांकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार इसे ग़म का महीना भी कहते हैं।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 02:54 PM (IST)
Muharram 2021 : जानिये कैसे हुई हिजरी कैलेंडर की शुरुआत, इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम का महत्व
Muharram 2021 : जानिये कैसे हुई हिजरी कैलेंडर की शुरुआत, इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम का महत्व

Islamic History Aur Muharram : हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत हो चुकी है। मुहर्रम हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है। जिसकी शुरुआत 09 अगस्त की शाम के चांद से हो गई थी। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह 1443 हिजरी है। इस्लाम मज़हब में मुहर्रम को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में इस्लामिक इतिहास की कई घटनाएं घटित हुई है। हालांकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इसे ग़म का महीना भी कहते हैं। क्योंकि मुहर्रम अशूरा के दिन पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने कर्बला में मानवता के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। आइये जानते हैं मुहर्रम महीने से जुड़ी घटनाओं को: 

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हज़रत इमाम हुसैन की शहादत

मुहर्रम महीना इस्लाम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसी माह में मानवता की रक्षा के लिए लड़ते हुए पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन सहित 72 साथियों ने इराक के कर्बला मैदान शहादत दी थी। मुहर्रम महीने में यजीद के सैनिक और हज़रत इमाम हुसैन के बीच लड़ाई हुई थी। मुहर्रम महीने के अशूरा के दिन इमाम हुसैन शहीद हुए थे। हिजरी के अनुसार मुहर्रम का अशूरा आज है। इस दिन शिया मुसलमान हुसैन की याद में मातम करते हैं। मुहर्रम के पूरे महीने मजलिस करते हुए इमाम हुसैन को याद करते हैं। 

पैंगबर मूसा की जीत

इस्लामिक इतिहास में पैंगम्बर मोहम्मद साहब से पहले मोहर्रम के 10वें दिन पैंगबर मूसा ने मिस्र के फिरौन पर जीत हासिल की थी। जिसके याद में मुसलमान समुदाय रोज़ा रखते हैं। इस जीत को बुराई पर अच्छाई की जीत की तरह याद किया जाता है।   

हिजरी की शुरुआत

मुहर्रम महीने में ही हिजरी कैलेंडर की शुरुआत हुई थी। हिजरी कैलेंडर की शुरूआत करने वाले दूसरे ख़लीफा हज़रत उमर फारूक थे। उन्होंने पैंगम्बर मोहम्मद साहब के मक्का से मदीना तक हिजरत करने के दिन से ही हिजरी कैलेंडर की शुरुआत की थी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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