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Mesha Sankranti 2020: आज शाम सूर्य का मेष राशि में होगा प्रवेश, जानें मुहूर्त, पूजा, लाभ एवं महत्व

Mesha Sankranti 2020 आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज 13 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे जो सौर कैलेंडर की पहली राशि है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 08:06 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 08:07 AM (IST)
Mesha Sankranti 2020: आज शाम सूर्य का मेष राशि में होगा प्रवेश, जानें मुहूर्त, पूजा, लाभ एवं महत्व
Mesha Sankranti 2020: आज शाम सूर्य का मेष राशि में होगा प्रवेश, जानें मुहूर्त, पूजा, लाभ एवं महत्व

Mesha Sankranti 2020: आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज 13 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जो सौर कैलेंडर की पहली राशि है। आज के दिन से सौर कैलेंडर के नववर्ष का भी प्रारंभ हो जाएगा। सूर्य के मीन राशि से निकलकर मेष में प्रवेश करने की घटना सूर्य की मेष संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है। सूर्य 13 अप्रैल से 14 मई तक मेष राशि में बने रहेंगे। सूर्य के मेष राशि में संक्रमण का 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

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मेष संक्रांति का समय

सूर्य आज शाम को 08 बजकर 39 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे।

मेष संक्रान्ति पुण्य काल: आज दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक है। यह कुल अवधि 06 घंटे 24 मिनट की है।

मेष संक्रान्ति महा पुण्य काल: आज शाम 04 बजकर 38 मिनट से शाम को 06 बजकर 46 मिनट तक। इसकी कुल अवधि 02 घंटे 08 मिनट की है।

पणा संक्रांति/Pana Sankranti

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मेष संक्रांति के पहले दिन से सौर कैलेंडर के नववर्ष का प्रारंभ होता है। भारत के विभिन्न सौर कैलेंडरों जैसे ओड़िया कैलेंडर, तमिल कैलेंडर, मलयालम कैलेंडर और बंगाली कैलेंडर में मेष संक्रांति के पहले दिन को नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। ओड़िशा में हिन्दू अर्धरात्रि से पहले मेष संक्रांति होती है तो संक्रांति के पहले दिन को ही नववर्ष के पहले दिन के रूप में मनाते हैं। इसे पणा संक्रांति के रूप में मनाते हैं।

मेष संक्रांति के अलग-अलग नाम

मेष संक्रांति को तमिलनाडु में पुथांडु (Puthandu), केरल में विशु (Vishu), बंगाल में नबा बर्ष (Naba Barsha) या पोहला बोइशाख (Pohela Boishakh), असम में बिहु (Bihu) और पंजाब में वैशाखी (Vaisakhi) के नाम से मनाया जाता है।

सौर कैलेंडर

सौर कैलेंडर का प्रारंभ मेष संक्रांति से होता है। सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है तो मीन संक्रांति होती है, वह सौर कैलेंडर का अंतिम मास होता है। सौर कैलेंडर में 12 मास होते हैं। इसे आप 12 राशि के नाम से जानते हैं। सौर मास के 12 नाम इस प्रकार हैं: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, कुंभ, मकर और मीन।

मेष संक्रांति को सूर्य पूजा

मेष संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र का जाप करें। इसके बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा भी दें। इस दिन गेहूं, गुड़ और चांदी की वस्तु दान करना शुभकारी होता है।

मेष संक्रांति को स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र पहनें। ताबें के पात्र या लोटे में जल, अक्षत्, लाल पुष्प रखकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य देव की स्तुति करने से सभी प्रकार की तरक्की होती है। यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।


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