Move to Jagran APP

Mahalaxmi Vrat 2020: आज है महालक्ष्मी व्रत का समापन, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

Mahalaxmi Vrat 2020 आज महालक्ष्मी व्रत का समापन है। आज के दिन व्रत एवं पूजा से धन सुख समृद्धि एवं संतान की प्राप्ति होती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 08:25 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 02:22 PM (IST)
Mahalaxmi Vrat 2020: आज है महालक्ष्मी व्रत का समापन, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

Mahalaxmi Vrat 2020: महालक्ष्मी व्रत का समापन आज 10 सितंबर दिन गुरुवार को हो रहा है। महालक्ष्मी के सोरहिया व्रत का प्रारंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, जिसका समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस वर्ष 16 दिनों के महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ 25 अगस्त से हुआ था, जो कल पूर्ण होगा। इस दिन महालक्ष्मी का व्रत करने तथा विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है। वैसे तो लोग 16 दिन लगातार व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और अंतिम दिन व्रत रखते हैं।

loksabha election banner

महालक्ष्मी व्रत पूजा मुहूर्त

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर की रात्रि में 09 बजकर 45 मिनट पर लगेगी, जो गुरुवार की रात्रि 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में महालक्ष्मी व्रत गुरुवार को रखा जाएगा।

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

महालक्ष्मी के इस व्रत को 16 दिनों तक रखना संभव न हो तो व्यक्ति को पहले दिन, आठवें दिन और अंतिम दिन का व्रत रखना चाहिए। इस व्रत को करने से धन-संपदा, समृद्धि, ऐश्वर्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है। नौकरी या बिजनेस में भी तरक्की मिलती है।

महालक्ष्मी मंत्र

श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।” 

श्री लक्ष्मी महामंत्र: “ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”

पूजा के समय आप महालक्ष्मी के इन दो मंत्रों में से किसी एक का जाप कर सकते हैं।

महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा विधि

अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर महालक्ष्मी व्रत का व‍िध‍िपूर्व उद्यापन करें। पहले दिन हाथ में बांधे गए 16 गांठ वाले रक्षासूत्र को खोलकर नदी या सरोवर में व‍िसर्जित कर दें। पूजा मुहूर्त में महालक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना करें और उनकी अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल, मिठाई, चन्दन, पत्र, माला, सफ़ेद कमल या कोई भी कमल का फूल और कमलगट्टा अर्पित कर पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी को सफेद बर्फी या किशमिश का भोग लगाएं। महालक्ष्मी व्रत की कथा सुनें। मंत्र जाप के बाद महालक्ष्मी की आरती करें। ​उसके बाद अपनी मनोकामना प्रकट करें। फिर प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें। अंत में विधिपूर्वक माता महालक्ष्मी की प्रतिमा का विसर्जन कर व्रत को पूर्ण करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.