Mahalaxmi Vrat 2020 Date:आज से शुरु हो रहा है 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा एवं महत्व
Mahalaxmi Vrat 2020 Date भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत होता है। आज से महालक्ष्मी का व्रत प्रारंभ हो रहा है।
Mahalaxmi Vrat 2020 Date: हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत होता है। इस वर्ष महालक्ष्मी का व्रत आज 25 अगस्त दिन मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है। धन-संपदा और समृद्धि की देवी माता महालक्ष्मी की पूजा भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होती है। महालक्ष्मी का व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद से प्रारंभ होती है। जो लोग 16 दिनों तक महालक्ष्मी का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आखिरी दिन महालक्ष्मी व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में।
महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ: 25 अगस्त 2020, दिन मंगलवार से।
महालक्ष्मी व्रत समापन: 10 सितंबर 2020, दिन गुरुवार तक।
महालक्ष्मी व्रत मुहूर्त: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जो 26 अगस्त को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक है।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत होता है, इस दिन राधा अष्टमी यानी राधा जयंती भी मनाई जाती है। अष्टमी के दिन प्रारंभ होने वाला महालक्ष्मी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन दूर्वा अष्टमी व्रत भी होता है। दूर्वा अष्टमी को दूर्वा घास की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी व्रत धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और संपदा की प्रात्ति के लिए किया जाता है। इस दिन लोग धन-संपदा की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
Mahalaxmi Vrat 2020 Puja Vidhi: महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा विधि, मंत्र तथा उद्यापन
महालक्ष्मी पूजा
जो लोग माता महालक्ष्मी का व्रत करते हैं, वे पहले दिन पूजा के समय हल्दी से रंगे 16 गांठ वाला रक्षासूत्र अपने हाथ में बांधते हैं। 16वें दिन व्रत का विधिपूर्व उद्यापन किया जाता है और उसे रक्षासूत्र को नदी या सरोवर में विसर्जित किया जाता है। महालक्ष्मी की पूजा में हर दिन मां लक्ष्मी के इन आठ नामों ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम: और ऊं योगलक्ष्म्यै नम: का जाप करते हैं।