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Maa Brahamcharini Katha: शंकर जी को पति के रूप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठोर तपस्या, पढ़ें यह कथा

Maa Brahamcharini Katha नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस लेख में हम आपको मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा की जानकारी लाए हैं। आइए पढ़ते हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा। मां ब्रह्मचारिणी ने पूर्वजन्म में हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 05:30 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 08:13 AM (IST)
Maa Brahamcharini Katha: शंकर जी को पति के रूप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठोर तपस्या, पढ़ें यह कथा
Maa Brahamcharini Katha: शंकर जी को पति के रूप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठोर तपस्या

Maa Brahamcharini Katha: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस लेख में हम आपको मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा की जानकारी लाए हैं। आइए पढ़ते हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा।

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मां ब्रह्मचारिणी ने पूर्वजन्म में हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। इन्हें नारद जी ने उपदेश दिया कि वो शंकर जी को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या करें। इनके उपदेश पर ही मां ने शंकर जी को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। कठिन तपस्या के कारण ही इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक तपस्या की। तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने केवल फल-फूल ही खाए। मां ने सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।

कई दिनों तक मां ने कठिन उपवास रखा। वो खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप में रहीं। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र भी खाए। कुछ समय बाद उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया। यही नहीं मां कई हजार वर्षों तक निर्जल रहीं। उन्होंने शंकर जी को पति स्वरूप में पाने के लिए निराहार तपस्या की। जब मां ने पत्तों को खाना छोड़ दिया तब इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।

इस तपस्या के चलते माता का शरीर क्षीण हो गया। ब्रह्मचारिणी की तपस्या को सभी देवताओं, ऋषियों, सिद्धगणों, मुनियों ने अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया। साथ ही कहा कि हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। केवल आप ही ये कर सकती थीं। आपकी तपस्या का फल आपको जरूर मिलेगा और शिव शंकर आपको पति के रूप में प्राप्त होंगे। आपके पिता आपको लेने के लिए आ रहे हैं। अब आप तपस्या को छोड़ वापस लौट जाइए। इस कथा का सार यह है कि व्यक्ति के जीवन में कितनी भी परेशानियां क्यों न आए उसका मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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