Lolark Shashthi 2019: सूर्य षष्ठी पर वाराणसी के Lolark Kund में स्नान से होती है सन्तान प्राप्ति
Lolark Shashthi 2019 आज के दिन लोलार्क षष्ठी (ललई छठ) पर वाराणसी स्थित लोलार्क कुंड पर स्नान करने का विधान है स्नान से निसंतान दम्पत्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
Lolark Shashthi 2019: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी और लोलार्क षष्ठी के नाम से जाना जाता है। लोलार्क षष्ठी को ललई छठ भी कहा जाता है। जो इस वर्ष 04 सितंबर दिन बुधवार को पड़ रही है। आज के दिन लोलार्क षष्ठी (ललई छठ) पर वाराणसी स्थित लोलार्क कुंड पर स्नान करने का विधान है, स्नान से नि:संतान दम्पत्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
लोलार्क कुंड में स्नान का नियम
इस कुंड में स्नान कर अनेक दंपतियों ने पुत्र सुख पाया है। इस मान्यता के चलते हर साल लोलार्क छठ पर इस कुंड में डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ होती है। इस कुंड में स्नान करने वाले नि:संतान दम्पत्ति स्नान के बाद कपड़े कुंड में ही छोड़ देते हैं। इस दौरान महिलाएं श्रृंगार आदि की सामग्री भी वहीं छोड़ती हैं।
इसलिए नाम पड़ा लोलार्क
शिव भक्त विद्युन्माली दैत्य को जब सूर्य ने हरा दिया, तब सूर्य पर क्रोधित हो भगवान रुद्र त्रिशूल हाथ में लेकर उनकी ओर दौड़े। उस समय सूर्य भागते-भागते पृथ्वी पर काशी में आकर गिरे, इसी से वहां उनका लोलार्क नाम पड़ा।
स्नान, दान, जप और व्रत का महत्व
सप्तमीप्रयुक्त भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को स्नान, दान, जप और व्रत करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। विशेषकर सूर्य का पूजन, गंगा का दर्शन और पंचगव्यप्राशन से अश्वमेध के समान फल होता है। पूजा में गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य मुख्य हैं।
- ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र