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जानें, क्यों पूजा करते समय भगवान को अर्पित किया जाता है अक्षत

शुद्ध और अखंडित चावल को अक्षत कहा जाता है। हिंदी में अक्षत का तात्पर्य अखंड से है। आसान शब्दों में कहें तो जो खंडित न हो। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। अ अर्थात अन्न और क्षत अर्थात जो संपूर्ण हो।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 04:09 PM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 04:09 PM (IST)
जानें, क्यों पूजा करते समय भगवान को अर्पित किया जाता है अक्षत
जानें, क्यों पूजा करते समय भगवान को अर्पित किया जाता है अक्षत

सनातन धर्म में ईश्वर को पाने का सबसे सरल उपाय भक्ति है। भक्ति मार्ग पर चलकर व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। शास्त्रों में निहित है कि कलयुग में सुमरन मात्र से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए निम्न श्लोक बेहद प्रचलित है। कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा।। इसका आशय यह है कि सुमरन करने से व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। वहीं, पूजा-पाठ करने से तन और मन शुद्ध होता है। साथ ही आत्मा का मिलन परमात्मा से होता है। सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इसमें नाना प्रकार की चीजों का उपयोग किया जाता है। इनमें एक अक्षत है। ऐसा माना जाता है कि बिना अक्षत के पूजा सफल और संपूर्ण नहीं माना जाता है। अतः सभी पूजा में अक्षत का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि पूजा करते समय देवी-देवताओं को अक्षत क्यों अर्पित किया जाता है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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अक्षत क्या है

शुद्ध और अखंडित चावल को अक्षत कहा जाता है। हिंदी में अक्षत का तात्पर्य अखंड से है। आसान शब्दों में कहें तो जो खंडित न हो। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। अ अर्थात अन्न और क्षत अर्थात जो संपूर्ण हो। साबुत चावल अखंडित रहता है और यह न जूठा रहता है। यह सर्वप्रथम धान के रूप में रहता है। मशीन अथवा घर पर धान से चावल तैयार किया जाता है। शुद्ध और अखंडित चावल को पूजा में इस्तेमाल किया जाता है।

क्यों अर्पित किया जाता है अक्षत

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अपने शिष्य अर्जुन से कहते हैं-हे अर्जुन! जो व्यक्ति मुझे अर्पित किए बिना कुछ खाता है या उपयोग करता है। वह चोरी माना जाता है। इसके लिए हमेशा भगवान को अर्पित कर अन्न या जल ग्रहण करना चाहिए। शास्त्रों में निहित है कि सर्वप्रथम चावल की खेती हुई थी। इससे अन्न रूप में चावल प्राप्त हुआ था। अतः भगवान को पूजा के समय अन्न रूप में अक्षत चढ़ाया जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि पूजा के समय किसी चीज की कमी को अक्षत पूरा कर देता है। इसके लिए पूजा के समय भगवान को अक्षत अर्पित किया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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