Pithori Amavasya 2021 Puja: जानिए, क्या है पिठोरी अमावस्या की सही तिथि और पूजन विधि
Pithori Amavasya 2021 हिंदी पंचांग के भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पिठोरी कुशोत्पाटनी या कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इस साल पिठोरी अमावस्या तिथि को लेकर लोगों में असमंजस है। आइए जानते हैं पिठोरी अमावस्या की सही तिथि और पूजन विधि....
Pithori Amavasya 2021:हिंदी पंचांग के भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पिठोरी, कुशोत्पाटनी या कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्मास में पड़ने के कारण इस अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन कुशा एकत्र करने और पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण करने का विधान है। इसके साथ ही पिठोरी अमावस्या पर माता दुर्गा के 64 रूपों का पूजन किया जाता है। इस साल पिठोरी अमावस्या 07 सितंबर, दिन मंगलवार को मानाई जा रही है। हालांकि इसकी तिथि को लेकर लोगों में असमंजस है। आइए जानते हैं पिठोरी अमावस्या की सही तिथि और पूजन विधि....
पिठोरी अमावस्या की सही तिथि
काल गणना के अनुसार अमावस्या कि तिथि 06 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 07 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 07 सितंबर को सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि आज पूरे दिन पड़ रही है इसलिए ही कुछ लोग अमावस्या तिथि आज 06 सितंबर को ही मान रहे हैं। लेकिन आज सूर्योदय 06.14 पर होने के कारण इसे अमावस्या का सूर्य नहीं माना जा सकता। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुरूप पिठोरी अमावस्या कल 07 सितंबर, दिन मंगलवार को ही मानी जाएगी।
पिठोरी अमावस्या की पूजन विधि
पिठोरी अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन पवित्र नदियों मे स्नान कर कुशा एकत्रित करने की परंपरा है। इस दिन एकत्र की गई कुशा का प्रयोग आने वाले दिनों में और पितृ पक्ष में पूजन के दौरान किया जाता है।
इसके अतिरिक्त पिठोरी अमावस्या पर मां दुर्गा के 64 रूपों के पूजन का विशेष विधान है। इस दिन महिलाएं आटे से मां दुर्गा के 64 रूपों को बनाती हैं। इन सभी प्रतिमाओं को एक थाल में सजा कर इनका पूजन किया जाता है। 64 देवियों को सिंदूर, चुनरी, बिंदी और चूड़िया आदि चढ़ाई जाती हैं। मां दुर्गा को लाल रंग के फूल, विशेष रूप से लाल गुड़हल का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण करने का भी विधान है।
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