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Shravan 2021: भगवान शिव को क्यों पसंद है भस्म? जानें क्या है माता सती का इससे संबंध

Shravan 2021 धरती से लेकर आकाश तक सती के शव को लेकर विलाप कर रहे थे। भगवान विष्णु से भगवान शिव की ये दशा देखी नहीं जा रही थी। उन्होंने माता सती के शव को छूकर भस्म में बदल दिया था।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 11:03 AM (IST)
Shravan 2021: भगवान शिव को क्यों पसंद है भस्म? जानें क्या है माता सती का इससे संबंध
Shravan 2021: भगवान शिव को क्यों पसंद है भस्म? जानें क्या है माता सती का इससे संबंध

Shravan 2021 : सावन माह प्रारंभ हो चुका है। भगवान शिव को सावन मास प्रिय है। सावन में शिव पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान शिव इस माह पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। सावन में पूजा से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में भगवान शिव की भस्म आरती भी की जाती है। यह भस्म श्मशान की जली हुई चिताओं से लाया जाता है। भस्म को साधु-संत तथा अघोरी लोग भी लगाते हैं। आइये जानते हैं कि भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय है। इससे जुड़ी कथा का विस्तार से वर्णन करेंगे।

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भस्म लगाने की कथाएं

1. राजा दक्ष ने भगवान शिव और माता सती को यज्ञ के लिए निमंत्रण नहीं दिया था। शिव के इस अपमान से सती ने क्रोध में आकर खुद अग्नि को समर्पित कर दिया था। माता सती के शव को लेकर शिव तांडव करने लगे थे। धरती से लेकर आकाश तक सती के शव को लेकर विलाप कर रहे थे। भगवान विष्णु से भगवान शिव की ये दशा देखी नहीं जा रही थी। उन्होंने माता सती के शव को छूकर भस्म में बदल दिया था। अपने हाथों में सती की जगह भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए। माता सती को याद करते हुए राख को ही अपने शरीर पर लगा लिए। इसीलिए भगवान शिव को भस्म पंसद है क्योंकि वे माता सती से अलग नहीं होना चाहते हैं।   

2. भगवान शिव को मृत्यु का स्वामी माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शव से शिव नाम बना है। भगवान शिव का शरीर नश्वर है और इसे एक दिन इस भस्म की तरह राख हो जाना है। जीवन के इसी पड़ाव का भगवान शिव सम्मान करते हैं। शव के इस सम्मान के लिए वो खुद पर भस्म लगाते हैं। इसीलिए भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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