Move to Jagran APP

भैया दूज 2018: यम-यमुना की कहानी से जुड़ा है यह पर्व, जानें चित्रगुप्त पूजन का महत्व

ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट  के अनुसार धनतेरस से शुरू हुआ पंचदिवसीय दीपोत्सव भैया दूज पर पूर्ण होता है। जिसका स्कन्दपुराण में यम द्वितीया के नाम से जिक्र मिलता है।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 10:13 AM (IST)
भैया दूज 2018: यम-यमुना की कहानी से जुड़ा है यह पर्व, जानें चित्रगुप्त पूजन का महत्व
भैया दूज 2018: यम-यमुना की कहानी से जुड़ा है यह पर्व, जानें चित्रगुप्त पूजन का महत्व

यम ने दिया था बहन को वचन 

loksabha election banner

एक पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य-पुत्री यमुना, यमराज की बहन हैं। वर्ष में इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने एवं उनकी अर्चना करने जाते हैं, इसलिए कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानि भैया दूज पर यमुना-स्नान, दान एवं दर्शन करने से यम-यातना से मुक्ति मिलती है। यम ने यमुना को यह वचन

 दिया था कि ’’यमुना में स्नान करने से मनुष्य यम लोक नहीं जाएगा”। वही परम्परा आज तक लोक में विख्यात है। इसका प्रमाण स्कन्दपुराण में इस प्रकार प्राप्त होता है- 

“स्नानम कृत्वा भानुजायम यमलोकम न पश्यति।” 

”यमद्वितीयेयम त्रिषु लोकेषु विश्रुता ।”

अर्थात् भानुजा (सूर्य-कन्या) यमुना में स्नान करने वाला यमलोक न जाकर बैकुंठ-लोक जाता है। 

भाई बहनों को देते हैं वस्त्र एवं आभूषण  

इस दिन भाई के द्वारा बहन के घर जाकर उसका विधिवत पूजन कर सुस्वादु भोजन, सुन्दर वस्त्र एवं आभूषण आदि प्रदान करने का विधान है। 

यम-पंचक

इसी दिन यम-पंचक की निवृत्ति भी होती है। यह यम पंचक धनतेरस से प्रारम्भ होकर यम द्वितीया तक रहता है। अतः इस पांच दिन में मात्र पूजन का विधान है। गृहप्रवेश, मुंडन, विवाह, यज्ञोपवीत आदि कार्य वर्जित कहा गया है।

चित्रगुप्त-पूजन 

यम द्वितीया को ही लोक-भाग्य-विधाता चित्रगुप्त का भी पूजन होता है। चित्रगुप्त के प्रतीक क़लम-दवात एवं बहीखाता, तिजोरी का पूजन कर व्यापार वृद्धि की कामना होती है। इस पूजन का विधान इस प्रकार वर्णित है- क़लम-दवात, बहीखाता का सोलह उपचार से पूजन कर हल्दी गांठ, धनिया, कमलगट्टा, करंज, अक्षत, दूर्वा एवं द्रव्य को तिजोरी में रखकर व्यापारिक स्थिरता की प्रार्थना की जाती है। 

प्रार्थना-मन्त्र -

लेखनी पुस्तिका सुबन्द्या भक़्ते: समस्त व्यापार दक्षे:।                 

जनै:जननां भयहारिणी च स

चित्रगुप्त मम सुव्यापारम ददास्तु ।।

तथापि च अतस्त्वाम पूजयिषयामी मम व्यापार स्थिरा भव।।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.