9 अगस्त से शुरू हो कर 10 अगस्त रहेगी सावन शिवरात्रि 2018 की अवधि एेसे करें पूजा
आज सावन 2018 की शिवरात्रि है जो कल भी रहेगी। इस माह में शिवरात्रि की पूजा का अत्यंत महत्व होता है आइये पंडित दीपक पांडे से जानें कैसे करें पूजा।
हर मास में होती है शिवरात्रि
वैसे तो हिंदू कलेंडर के हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि की पूजा की जाती है। इन दिनों सावन का महीना चल रहा है इस माह की शिवरात्रि का साल में सर्वाधिक महत्व माना जाता है। क्योंकि सावन का महीना शिव जी को ही समर्पित होता है। आज त्रयोदशी तिथि है जो रात 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। शिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा का सबसे शुभ समय होता है मध्य रात्रि इसलिए शिवरात्रि के पूजन का ये समय सर्वोत्म माना जायेगा। इस दिन पूजा करने से भगवान शिव से मनचाहा वरदान मिल सकता है।
कांवड़ के जल से अभिषेक का सबसे अच्छा मुहूर्त
सावन माह में शिवरात्रि सबसे उत्तम समय होता है जब भगवान शिव की पूजा की जाए। ये दिन कांवड़ के जल से भगवान शंकर का अभिषेक करने का भी सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है इसलिए शिव मंदिरों में सबसे ज्यादा कांवड़ इसी दिन चढ़ते हैं। एेसी मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा की जाए और व्रत रखा जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है तथा जीवन में सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं होती। इसके साथ ही शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से जहां पुरुषों को धन-दौलत, यश और कीर्ति प्राप्ति होती हैं वहीं महिलाआें को सौभाग्य आैर संतान सुख का वरदान प्राप्त होता है। इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य एवं सुंदर जीवन साथी प्राप्त होता है।
एेसे करें पूजा
इस बार सावन शिवरात्रि गुरुवार 9 अगस्त से 10 अगस्त तक है। इस दिन सुबह उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत होकर शिवजी की पूजा करें। ये दिन शिव और शक्ति के मिलन का दिन मानाजाता है इसलिए इसदिन महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा में शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग और फूल चढ़ाएं। कच्चा धागा लेकर शिव पार्वती के चारों ओर लपेटें और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। भगवान को दही, जल, इत्र, तिल, चन्दन, अबीर गुलाल, भांग और धतूरा अर्पित करें।