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यज्ञ करने से भी ज्‍यादा शुभ फलदायक है सफला एकादशी का व्रत ऐसे करें पूजा

सफला एकादशी व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है। इस साल 13 दिसंबर को सही मुहूर्त पर विधि विधान से करें यह व्रत।

By Molly SethEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 03:06 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 12:30 AM (IST)
यज्ञ करने से भी ज्‍यादा शुभ फलदायक है सफला एकादशी का व्रत ऐसे करें पूजा

कैसे करें व्रत और पूजा

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13 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत को करने वाले को प्रात: स्नान करके, भगवान कि आरती करनी चाहिए और भगवान को भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान श्री नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन अथवा दान देना चाहिए और जागरण करते हुए कीर्तन पाठ आदि करना अत्यन्त शुभ फल देने वाला होता है। इस दिन भोग विलास एवं काम की भावना को त्याग कर आचरण भी सात्विक होना चाहिए। सफला एकादशी पूजा में श्रीखंड चंदन या गोपी चंदन लगाकर कमल और वैजयन्ती फूल, फल, गंगा जल, पंचामृत, धूप, दीप, सहित लक्ष्मी नारायण की पूजा एवं आरती करनी चाहिए। दिन भर निराहार रह कर संध्या काल में दीप दान के पश्चात फलाहार कर सकते हैं। इस दिन नमक का सेवन ना करें।

व्रत पूजन का समय

बुधवार को एकादशी तिथि प्रारम्भ 02 .08 बजे से शुरू हो कर बृहस्‍पतिवार 14 दिसम्बर को 03.25 बजे तक रहेगा। पुराणों के अनुसार यह एकादशी अत्‍यंत कल्याण करने वाली समस्त व्रतों में श्रेष्ठ है। पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार पौषमास के कृष्णपक्ष की एकादशी के विषय में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि बडे-बडे यज्ञों से भी उन्‍हें उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है। इसलिए एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए।एकादशी व्रत के बाद द्वादशी के दिन भगवान की पूजा के पश्चात भोजन और दक्षिणा देकर विदा करने के पश्चात भोजन करना चाहिए। 


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