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Kamda Ekadashi 2023: पाना चाहते हैं भगवान विष्णु की कृपा, तो एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

Kamda Ekadashi 2023 ज्योतिषियों की मानें तो कामदा एकादशी तिथि 1 अप्रैल को मध्य रात्रि 12 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 2 अप्रैल को रात्रि 2 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान साधक व्रत उपवास कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarMon, 27 Mar 2023 12:46 PM (IST)
Kamda Ekadashi 2023: पाना चाहते हैं भगवान विष्णु की कृपा, तो एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
Kamda Ekadashi 2023: पाना चाहते हैं भगवान विष्णु की कृपा, तो एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Kamda Ekadashi 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 में 1 अप्रैल को कामदा एकादशी है। ज्योतिषियों की मानें तो कामदा एकादशी तिथि 1 अप्रैल को मध्य रात्रि 12 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 2 अप्रैल को रात्रि 2 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान साधक व्रत उपवास कर सकते हैं। एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके लिए साधक एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साथ ही व्रत उपवास भी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से जीवन में व्याप्त सभी दुःख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो एकादशी को पूजा करते समय निम्न मंत्रों का जाप जरूर करें। आइए जानते हैं-

1.

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

2.

रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥

3.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ हूं विष्णवे नम:

4.

देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

5.

रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,

विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।

पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,

विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।

6.

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

7.

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

8.

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

9.

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

10.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।