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Kajari Teej 2021: कब है कजरी तीज? जानें पूजा विधि, सामग्री और महिलाओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

Kajari Teej Vrat 2021 भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त दिन बुधवार को पड़ है। कई क्षेत्रों मे कजरी तीज को बूढ़ी तीज कजली तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 01:43 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 07:19 AM (IST)
Kajari Teej 2021: कब है कजरी तीज? जानें पूजा विधि, सामग्री और महिलाओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

Kajari Teej 2021: महिलाएं अपने पति के लिए साल भर में बहुत सारे व्रत रखती हैं। उन्हीं सुहाग के एक व्रत में से कजरी तीज भी है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह त्योहार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त दिन बुधवार को है। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सज-संवरकर पति के दीर्घायु के लिए पूजा करती हैं। आइये जानते हैं पूजा विधि और पूजा सामग्री के साथ-साथ इसके महत्व के बारे में।

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कजरी तीज पूजन सामग्री

कजरी तीज में सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं तथा सुहाग का सामान माता पार्वती को भी अर्पित करती हैं। सुहाग के समान के साथ-साथ अन्य सामग्री भी लगती है। मेंहदी, हल्‍दी, बिंदी, कंगन, चूडिय़ां, सिंदूर, काजल, लाल कपड़े, गजरा, मांग टीका, नथ या कांटा, कान के गहने, हार, बाजूबंद, अंगूठी, कमरबंद, बिछुआ, पायल, अगरबत्‍ती, कुमकुम, सत्‍तू, फल, मिठाई, रोली, मौली-अक्षत आदि।

कजरी तीज पूजन विधि

घर में या घर के बाहर एक सही दिशा का चुनाव करके मिट्टी या गोबर से एक तालाब जैसा छोटा घेरा बना लें। उस तालाब में कच्चा दूध या जल भर लें और उसके एक किनारे दीपक जला लें। इसके उपरांत एक थाली में केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि समान रख लें। बनाए हुए तालाब के एक किनारे नीम की एक डाल तोड़कर रोप दें। इस नीम की डाल पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माता की पूजा करें। शाम के समय चंद्रमा को अर्ध्य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें और माता नीमड़ी को घर पर बना मालपुए का भोग लगाएं।

कजरी तीज व्रत के लाभ

कजरी तीज करने से सदावर्त एवं बाजपेयी यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। जिससे स्वर्ग में रहने का अवसर प्राप्त होता है। व्रत से प्रभाव से अगले जन्म के दौरान संपन्न परिवार में जन्म मिलता है। इसके अलावा जीवनसाथी का वियोग नहीं मिलता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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