Move to Jagran APP

Kaal Bhairav Jayanti 2021: काल भैरव जयंती पर करें इस चालीसा का पाठ, प्रेत-बाधा का होगा नाश

Kaal Bhairav Jayanti 2021 काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि वो स्वयं काल स्वरूप हैं। इनके पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। इस साल काल भैरव जंयति 27 नवंबरदिन शनिवार को पड़ रही है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 01:12 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:00 AM (IST)
Kaal Bhairav Jayanti 2021: काल भैरव जयंती पर करें इस चालीसा का पाठ, प्रेत-बाधा का होगा नाश

Kaal Bhairav Jayanti 2021: काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि वो स्वयं काल स्वरूप हैं। इनके पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। इस दिन को काल भैरव जंयति के रूप में मनाया जाता है। इस साल काल भैरव जंयति 27 नवंबर,दिन शनिवार को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव के पूजन से तंत्र, मंत्र, भूत-प्रेत बाधा का नाश होता है। इस दिन व्रत करके विधि पूर्वक काल भैरव का पूजन करना चाहिए।

loksabha election banner

भैरव जयंति के दिन पूजन में काल भैरव चालीसा का पाठ करने और उनकी सवारी कुत्ते को भोजन जरूर करवाना चाहिए। ऐसा करने से मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है और भूत-प्रेत बाधा का नाश होता है।

काल भैरव  चालीसा

दोहा

श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।

चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥

श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।

श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥

जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥

भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥

भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥

शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥

जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥

जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥

वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥

रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥

बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेात रक्त अरु श्याम शरीरा॥

करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥

रत्नन जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥

भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥

महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥

अश्वभनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥

निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥

रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥

करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥

करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥

श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥

ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥

श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.