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Jitiya Puja Muhurat: जितिया व्रत का क्या है पूजा मुहूर्त? जानें तिथि और समय

Jitiya Puja Muhurat जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत इस साल 29 सितंबर दिन बुधवार को है। जीमूतवाहन जीवन रक्षक थे इसलिए उनकी विशेष पूजा की जाती है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं कि इस वर्ष जितिया व्रत की तिथि और पूजा मुहूर्त क्या है?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 02:22 PM (IST)
Jitiya Puja Muhurat: जितिया व्रत का क्या है पूजा मुहूर्त? जानें तिथि और समय
Jitiya Vrat 2021 Muhurat: जितिया व्रत का क्या है पूजा मुहूर्त? जानें तिथि और समय

Jitiya Vrat 2021 Muhurat: जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत आज 29 सितंबर दिन बुधवार को है। इस दिन गंधर्व राजुकमार जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा की जाती है। जीमूतवाहन ने नाग वंश की रक्षा के लिए स्वयं पक्षीराज गरुड़ का निवाला बनने के लिए तैयार हो गए थे। पक्षीराज गरुड़ ने उनके साहस और परोपकार से अत्यंत प्रसन्न होकर उनको तथा नागों को जीवनदान दिया था। इस वजह से ही हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है। जीमूतवाहन जीवन रक्षक थे, इसलिए उनकी विशेष पूजा की जाती है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं कि इस वर्ष जितिया व्रत की तिथि और पूजा मुहूर्त क्या है?

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जितिया व्रत 2021 तिथि

हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन कृष्ण अष्टमी ति​थि को जितिया व्रत रखा जाता है। इस वर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी ति​थि 28 सितंबर शाम 06:16 बजे से लग गई है, जो 29 सितंबर दिन बुधवार को रात 08:29 बजे तक है। ऐसे में जितिया व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा।

जितिया व्रत 2021 पूजा मुहूर्त

जितिया व्रत की पूजा शाम के समय में की जाती है। ऐसे में 29 सितंबर ​को सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। तब से प्रदोष काल प्रारंभ हो जाएगा, अष्टमी तिथि रात 08:29 बजे तक रहेगी। ऐसे में जितिया व्रत की पूजा शाम 06:09 बजे से की जा सकती है।

​जितिया व्रत 2021 पंचांग

राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 11 मिनट से दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक।

अमृत काल: दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक।

दिशाशूल: उत्तर।

विक्रम संवत 2078 शके 1943 दक्षिणायन, उत्तरगोल, वर्षा ऋतु आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी 20 घंटे 30 मिनट तक, तत्पश्चात् नवमी आद्रा नक्षत्र 23 घंटे 26 मिनट तक, तत्पश्चात् पुनर्वसु वरियान योग 18 घंटे 34 मिनट तक, तत्पश्चात् परिघ योग मिथुन में चंद्रमा।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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