Move to Jagran APP

धन धान्‍य और समृद्धि के लिए शुक्रवार को करें वैभवलक्ष्‍मी की पूजा और व्रत

मान्यता है शुक्रवार को वैभवलक्ष्मी का व्रत रखने से धन, वैभव और ऐश्‍वर्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों रख सकते हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 09:02 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 10:36 AM (IST)
धन धान्‍य और समृद्धि के लिए शुक्रवार को करें वैभवलक्ष्‍मी की पूजा और व्रत
धन धान्‍य और समृद्धि के लिए शुक्रवार को करें वैभवलक्ष्‍मी की पूजा और व्रत

इसलिए होता है वैभवलक्ष्‍मी का व्रत पूजन

loksabha election banner

हिन्दू धर्म में वैभवलक्ष्मी का पूजन सुख-समृद्धि, धन, वैभव और ऐश्‍वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है, नियम पूर्वक पूरे विधि विधान के साथ इनका पूजन करने से व्यक्ति को ये सभी चीजें प्राप्‍त होती हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता के पूजन के लिए निश्‍चित है। इन मे से मां लक्ष्मी पूजन के लिए शुक्रवार को चुना गया है। इस दिन देवी के वैभवलक्ष्मी स्वरुप की भी आराधना की जाती है, जो वैभव और धन की देवी मानी जाती हैं। आइये जानें क्‍या हैं वैभवलक्ष्मी के शुक्रवार व्रत की विधि और नियम। 

ऐसे करें वैभवलक्ष्‍मी का व्रत एवम् पूजन

हालाकि मां वैभवलक्ष्मी का व्रत शीघ्र फलदायी होता है, फिर भी यदि फल शीघ्र ना मिलें तो एक महीने के अंतराल पर इसें पुन: शुरु करना चाहिए और इच्छानुसार पूर्ण होने तक व्रत तीन-तीन महीने पर करते रहना चाहिए। इस व्रत को प्रत्येक शुक्रवार को करना चाहिए। व्रत को शुरु करने से पहले तय कर लें की आप कितने शुक्रवार तक यह व्रत करेंगे। जैसे -11, 21, या उससे ज्‍यादा। इसके बाद व्रत समाप्त होने पर श्रद्धापूर्वक उद्यापन कर दें। एक बार व्रत पूरा होने के बाद दोबारा से किसी और मन्नत को मान कर व्रत कर सकते हैं। लक्ष्मी जी को श्रीयंत्र अति प्रिय है, इसलिए इस व्रत को करते समय श्री यंत्र सहित माता के श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्री ऐश्‍वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी और श्री संतानलक्ष्मी सभी रूपों को प्रणाम करें। व्रत के दिन सुबह से ही मां लक्ष्मी के नाम का स्मरण मन ही मन करते रहना चाहिए। याद रहे कि शुक्रवार के दिन यदि आप घर से बाहर यात्रा पर गये हों तो वह शुक्रवार छोड़कर उसके बाद के शुक्रवार को व्रत करें इसका अर्थ ये है कि ये व्रत अपने ही घर में करना चाहिए। 

ध्‍यान देने योग्‍य बातें

याद रहे कि जितने शुक्रवार की मन्नत ली हो, उतने शुक्रवार अवश्‍य पूरे करने चाहिए। इस पूजा में बहुमूल्‍य धातु चढ़ाने का भी अत्‍यंत महत्‍व है, यदि सोना, चांदी की चीज न हो तो सिक्का या रुपया रख कर पूजा करें। व्रत पूरा होने पर कम से कम सात स्त्रियों को वैभवलक्ष्मी व्रत की पुस्तक कुमकुम का तिलक करके भेंट के में देनी चाहिए। व्रत की विधि शुरु करते वक्त लक्ष्मी स्तवन का पाठ करने से भी अत्‍यंत लाभ होता है। व्रत में फलाहार या एक बार भोजन करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.