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Hartalika Teej Fasting Rules: व्रत करते समय इन बातों का रखें ख्याल, मिलता है शुभ फल

Hartalika Teej Fasting Rules हरतालिका तीज के दिन सुहागिनें और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं। जहां सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 07:00 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 10:13 AM (IST)
Hartalika Teej Fasting Rules: व्रत करते समय इन बातों का रखें ख्याल, मिलता है शुभ फल

Hartalika Teej Fasting Rules: हरतालिका तीज के दिन सुहागिनें और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं। जहां सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं वहीं, कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल आदि भी दिए जाते हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए यह प्रमुख व्रतों में से एक है। बता दें कि हरतालिका तीज सावन की हरियाली तीज से अलग है। ऐसे में इस व्रत को करते समय महिलाओं को कुछ खास बातों का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है। ऐसे में हम आपको हरतालिका तीज के नियमों के बारे में बता रहे हैं।

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हरतालिका तीज का पूजा मुहूर्त:

  • सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक।

शाम को हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त:

  • शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक।
  • तृतीया तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त की रात रात 2 बजकर 13 मिनट से।
  • तृतीया तिथि समाप्त- 22 अगस्त रात 11 बजकर 2 मिनट तक।

हरतालिका तीज का व्रत करते समय इन बातों का रखें ख्याल:

1. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए और कुंवारी कन्‍याएं मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि अगर एक बार यह व्रत किया जाए तो जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है।

2. अगर महिला बीमार है तो उसके बदले उसका पति भी यह व्रत कर सकता है। या घर की कोई अन्य महिला भी कर सकती है।

3. व्रत करते समय आपको किसी प्रकार का द्वेष मन में नहीं लाना है। गुस्सा नहीं करना चाहिए।

4. अगर आपने व्रत किया है तो अपने पति के साथ क्लेश न करें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत अधूरा रह जाता है।

5. इस दिन व्रत करते समय किसी बड़े-बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा किया जाए तो व्रत का लाभ नहीं मिलता है।

6. इस दिन व्रत करते समय पूरी रात जागकर जागरण करना पड़ता है। इस व्रत में रात को सोना वर्जित है। रात को भजन-कीर्तन किया जाता है।

7. व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही खोला जाता है।


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