Hariyali Teej Vrat 2020: हरियाली तीज व्रत में इन कामों की है मनाही, जानें किन बातों का रखना है ध्यान
Hariyali Teej Vrat 2020 अखंड सौभाग्य के इस व्रत पर सुहागन महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना होता है ताकि उनके व्रत किसी भी प्रकार से प्रभावित न हो।
Hariyali Teej Vrat 2020: हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन सुहागन महिलाएं श्रृंगार करके माता पार्वती की पूजा करती हैं, ताकि उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो। हरियाली तीज के दिन महिलाएं एक जगह एकत्र होकर मेंहदी लगाती हैं, लोक गीत गाती हैं और झूला भी झूलती हैं। वहीं, उनके मायके से श्रृंगार के सामान, घेवर आदि आता है। शाम के समय सुहागन महिलाएं 16 श्रृंगार करके माता पार्वती एवं भगवान भोलेनाथ की आराधना करती हैं। अखंड सौभाग्य के इस व्रत पर सुहागन महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, ताकि उनके व्रत किसी भी प्रकार से प्रभावित न हो। आइए जानते हैं कि वे कौन सी बाते हैं —
1. हरियाली तीज के दिन सुहागन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं। यह उनके पति के दीर्घायु, सेहतमंद और खुशहाल होने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं हरे रंग का प्रयोग प्रमुखता से करती हैं।
2. हरियाली तीज पर मायके वाले बेटी को साड़ी, श्रृंगार सामग्री, मिठाई, फल आदि भेजते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
3. यह व्रत निर्जला होता है। व्रत में पानी नहीं पीते हैं। हालांकि गर्भवती और बीमार महिलाओं पर यह लागू नहीं होता।
4. आज के दिन व्रत रहने वाली स्त्री को हरियाली तीज की व्रत कथा सुननी चाहिए। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।
5. यह व्रत पति की लंबी आयु और उसकी खुशहाली के लिए होता है। ऐसे में अपने जीवनसाथी से छल कपट या झूठ नहीं बोलना चाहिए।
6. इस व्रत में सफेद और काले वस्त्रों का प्रयोग वर्जित माना गया है।
7. इस दिन आपको तीज माता यानी माता पार्वती के गाने, कथा, कहानियां सुनना चाहिए।
8. ऐसा भी प्रचलन है कि तीज के व्रत में सोना नहीं चाहिए। रात्रि में देवी माता का भजन कीर्तन करें।
9. हिन्दू धर्म के कहा गया है कि व्यक्ति को मन, कर्म और वचन से शुद्ध होना चाहिए। अर्थात् किसी के बारे में बुरा न सोचें, गलत कार्य न करें और किसी के प्रति गलत भाषा का प्रयोग न करें।
10. हरियाली अर्थात् प्रकृति। माता पार्वती प्रकृति का स्वरुप मानी गई हैं। ऐसे में व्रत रखने वालों को किसी भी प्रकार से प्रकृति या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।