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Hariyali Teej 2019: व्रत रखने वाली महिलाएं जरूर सुनें शिव-पार्वती की प्रसिद्ध कथा, मिलेगा यह आशीर्वाद

Hariyali Teej 2019 व्रत रखने वाली महिलाओं को हरियाली तीज की कथा जरूर सुननी चाहिए। उस कथा के सुनने से व्रत पूर्ण माना जाता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 12:51 PM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 12:51 PM (IST)
Hariyali Teej 2019: व्रत रखने वाली महिलाएं जरूर सुनें शिव-पार्वती की प्रसिद्ध कथा, मिलेगा यह आशीर्वाद

Hariyali Teej 2019: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस वर्ष यह 03 अगस्त दिन शनिवार को है। यह तीज भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण में आती है, इसलिए इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। भगवान शिव को पति स्वरुप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया था, जिसके फलस्वरुप भगवान शिव उन्हें प्राप्त हुए थे।

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इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को हरियाली तीज की कथा जरूर सुननी चाहिए। उस कथा के सुनने से व्रत पूर्ण माना जाता है और महिलाओं को भगवान शिव से अखंड सुहाग का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

हरियाली तीज कथा

भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म की घटनाओं से अवगत कराने के लिए यह कथा सुनाई थी। हरियाली तीज व्रत की कथा कुछ इस प्रकार से है —

भगवान शिव शम्भू पार्वती जी से कहते हैं- हे देवी! बहुत समय पूर्व तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठोर तप किया था। उस दौरान तुमने सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर अपने दिन व्यतीत किए थे। धूप, गर्मी, बरसात, सर्दी हर मौसम में तुमने अपना तप जारी रखा। इससे तुम्हारे पिता पर्वतराज काफी दुखी थे। इसी बीच नादर मुनि तुम्हारे घर पहुंचे। तुम्हारे पिता ने उनसे आने का कारण जाना, तो नारद जी ने कहा कि वह भगवान विष्णु के आदेश पर यहां आए हैं। भगवान विष्णु आपकी पुत्री की कठोर तपस्या से प्रसन्न हैं, अत: वे उससे विवाह करना चाहते हैं। इस प्रस्ताव के संदर्भ में आपकी राय जानने के लिए मैं यहां आया हूं।

नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने नारद जी से कहा कि वह इसे प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु से करने के लिए तैयार हैं। पर्वतराज की स्वीकृति पाकर नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उनको विवाह के बारे में सूचित करते हैं। लेकिन जब इस विवाह की जानकारी तुम्हें होती है, तो तुम दुखी हो जाती हो क्योंकि तुम अपने मन से मुझे अपना पति स्वीकार कर चुकी हो।

भगवान शिव माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम अपने मन की पीड़ा सहेली से कहती हो। इस पर सहेली ने तुम्हें एक घनघोर वन में जाकर शिवजी की आराधना करने का सुझाव दिया। तुम मुझे प्राप्त करने के लिए वन में साधना करने लगती हो। जब इसके बारे में तुम्हारे पिता को ज्ञात हुआ तो वे दुखी हुए। वह सोचने लगे कि विष्णुजी बारात लेकर द्वार पर आएंगे और पुत्री घर पर नहीं होगी तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हें खोजने के लिए पृथ्वी और पाताल के हर कोने में अपने दूत भेजे, लेकिन तुम्हारा कुछ पता नहीं चला।

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तुम एक वन में गुफा के अंदर मेरी साधना में लीन थी। श्रावण शुक्ल तृतीया को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की, जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसी बीच तुम्हारे पिता उस गुफा तक पहुंच जाते हैं। तब तुमने अपने पिता पर्वतराज से कहा कि तुम्हारी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने तुम्हें स्वीकार कर लिया है। तुम एक शर्त पर ही घर जाओगी, जब तुम्हारी शादी भगवान शिव से करायी जाएगी। तुम्हारे पिता ने शर्त स्वीकार कर ली और बाद में हम दोनों का विवाह करा दिया।

भोलेनाथ ने कहा, हे पार्वती! श्रावण शुक्ल तृतीया को तुमने जो व्रत किया था, उसके कारण ही हम दोनों का विवाह हुआ। जो भी महिला पूरे मनोयोग से इस व्रत को करती है, उसे मैं मनोवांछित फल प्रदान करता हूं। इस व्रत के फलस्वरूप उसे महिला को अखंड सुहाग का आर्शीवाद प्राप्त होगा।

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