Move to Jagran APP

Hanuman Jayanti 2020: प्रभु राम के बिना अधूरी है हनुमान जी की उपासना, इन गुणों से बनें वे संकटमोचन

Hanuman Jayanti 2020 हनुमान जी की उपासना में ध्यान देने वाली एक बात यह है कि उनका प्रभु राम से यहां पर स्वामी और सेवक का संबंध है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 07:17 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 07:23 AM (IST)
Hanuman Jayanti 2020: प्रभु राम के बिना अधूरी है हनुमान जी की उपासना, इन गुणों से बनें वे संकटमोचन

Hanuman Jayanti 2020: हनुमान जी ऐसे शक्तिशाली, बलशाली, अजर-अमर गुण निधान हैं। मेरी निगाह में उनके जैसा कोई नहीं हुआ, जो सामान्य रूप से अपने को सदैव भूले बैठे हैं। जिसे राम के अलावा स्वयं का अनुभव ना हो, जो राममय हो गया हो, रामाधीन हो गया हो, राम तत्व में विलीन हो गया हो और राम का ऐसा प्रेमी, जिसने राम को अपने आधीन कर लिया हो। मेरी दृष्टि से तीन लोक और 14 भुवन तो राम के वश में है, पर राम को वश में करने वाला इस संसार में एक ही है हनुमान। जिसके विषय में मनुष्य क्या, देवता भी नहीं लिख सकते, न कह सकते और न ही बता सकते।

loksabha election banner

जब रावण को कराया अपनी शक्ति का एहसास

एक ऐसा अवतार, जिसने अपने स्वामी राम के काज किए, समुद्र लांघा, लंकिनी मारा, अक्षय मारा, लंका का बाग उजारा, अनगिन राक्षसों को मारा। मेघनाथ बांधकर जब ले गया, तो रावण ने हनुमान जी का तिरस्कार किया और आसन नहीं दिया। तब रावण से ज्यादा ऊंचा आसन हनुमान जी ने अपनी पूंछ से बनाया और उस पर विराजमान हुए। रावण ने पूछा, तुमने इतने राक्षस मारे, बाग उजाड़े, क्यों किया ऐसा?

हनुमान जी ने कहा, भूख लगी तो भोजन किया। और लंकेश जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बाँधेउँ तनयँ तुम्हारे॥ इसके उपरांत हनुमान जी ने ब्रह्म पाश को तोड़ दिया। रावण के सामने उठकर खड़े हुए और हनुमान जी ने रावण से कहा, "दशानन राम की आज्ञा नहीं है, नहीं तो, तेरे दसों सिर तोड़कर समुद्र में फेंक देता।" फिर वे वहां से आनंद पूर्वक चले गए। जो मूल कार्य था सीता का पता लगाना, वह लगा चुके थे। सोने की लंका जलकर राख हो गई और तदांतर वीर, महावीर और रणधीर परमात्मा राम के पास पहुंच जाते हैं।

लाल, विकराल एवं कालों के काल

ऐसे महाबली हनुमान को अपने बल का कभी मान नहीं रहता। जब कोई कभी उनको उनके बल की याद दिलाए, तो याद आती है। ऐसा कोई भी इस संसार में नहीं हुआ। ऐसा है पवन पुत्र अंजनी का लाल, विकराल, कालों का काल, संपूर्ण अष्ट सिद्धियों का स्वामी, जिसे राम स्वयं याद करते हों, स्मरण करते हों। ऐसी बात हमने सोचा, समझा, बुझा और शब्द अंकमाल किए हैं।

चारों युग में हैं हनुमान

जिनका चारों युग में समान रूप से राज्य चल रहा है। यहां देखा जाए कि जितने भी अवतार हुए हैं, चाहे सतयुग में सत्य अवतारी हुए हैं, त्रेता में राम अवतारी हुए हैं और द्वापर में भगवान कृष्ण हुए हैं। हर अवतार अपने एक-एक युग में रहे हैं, लेकिन पवनसुत हनुमान, सकल गुण निधान, वीरों में महान, जो समान रूप से चारों युग में प्रत्यक्ष रूप में निवास करते हैं। धर्म के इतिहास में जब-जब कोई अवतार हुए हैं, एक ही युग में रहे हैं।

हनुमान जी जैसा कोई नहीं

दूसरी चीज बहुत मूल बात जो मेरी समझ में आई कि हनुमान जैसा अवतारी ना कोई हुआ है, उनके अलावा ना कोई है और ना कोई होगा। भगवान के रूपों में हो, देवता के रूपों में हो या मनुष्य के रूप में हो, कामदेव को अपने पैरों के तले दबा दे, मेरी समझ में ऐसा कोई दूसरा नहीं हुआ। जबकि देखें यहां पर ये भगवान शिव के अवतारी हैं और भगवान शिव को भी कामदेव का बाण लगा। भले ही कामदेव को भस्म कर दिया गया हो। वो केवल अगर इतिहास में मिलता है तो पवन पुत्र अंजनी लाल का इतिहास मिलता है कि कामदेव को पैरों के तले दबा दिया।

हनुमान का अर्थ

दूसरी चीज प्रत्येक सगुण रूप धारण करने वाले को "मैं" अर्थात् अपनेपन की जानकारी रहती है, लेकिन हनुमान जी तो अपने "मैं" को भी समाप्त किए हुए हैं। हनुमान शब्द की व्याख्या से ही समझा जाए, देखा जाए, विचार किया जाए, निर्णय लिया जाए, तत्व दर्शन किया जाए। तदोपरांत निर्णयात्मक बुद्धि का निर्णय मान्य होकर निश्चय किया जाता है कि अवलोकनार्थ बुद्धि शब्द ब्रह्म प्रकाशित करती है। निर्णयात्मक मत देते हुए "हनुमान" की बुद्धि भी प्रशंसा करती है। हनुमान माने हनन कर दिया हो मान अपना। सम्मान से रहित हो। ऐसा भक्त शिरोमणि धरा की गोद में पैर धरा। अहिरावण को मारकर, राम लक्ष्मण को पाताल पुरी से सुरक्षित पृथ्वी पर ले आए।

Hanuman Jayanti 2020 Date: आज रामभक्त हनुमान जी का जन्मदिन, जानें भारत के किस स्थान पर जन्मे थे संकटमोचन

करोड़ों सूर्य से भी तेजवान हैं हनुमान

ब्रह्म अवतारी और दिव्य अवतारी इस भूमंडल पर आते गए, पर परम वैष्णव हनुमान जी, परम सन्यासी, स्वर्ण के समान संपूर्ण देह देदिप्यमान, परम प्रकाशित, सदा एक रस रहते हैं, राम गुण गाते हैं। कहा जा सकता है कि ऐसे दिव्य प्रकाशवान, दिव्य अवतारी अवतरित होने नहीं आए। ऐसा हम समझते हैं कि करोड़ों सूर्य भी हनुमान जी के तेज का मुकाबला नहीं कर सकते।

हनुमान जी की उपासना में इस एक बात का रखें ध्यान

हनुमान जी की उपासना में ध्यान देने वाली एक बात यह है कि उनका प्रभु राम से यहां पर स्वामी और सेवक का संबंध है। जब ह्रदय में सीताराम बैठे हुए हैं और वह स्वयं चरण में बैठे हुए हैं। हनुमानजी की उपासना में हनुमान जी का मूल मंत्र हैं राम। हनुमान जी का जप-तप, पूजा-पाठ, ध्यान-धारणा, समाधि, मनन-चिंतन, पठन-पाठन कुछ भी अगर सीधे हनुमान जी के नाम से किया जाए, तो वे कभी स्वीकार नहीं करते। हनुमान जी कहते हैं, मैं नहीं हूं, मेरे रोम-रोम में श्रीराम हैं। यह हमारे निजी विचार हैं। सीधे हनुमान जी अपनी पूजा स्वयं स्वीकार नहीं करते। हनुमान जी का रोम-रोम राम मय है। हनुमान जी की उपासना करने वालों को चाहिए कि लक्ष्य भले ही हनुमान जी हों, सर्वप्रथम राम का मंत्र हो, चाहे राम का नाम हो। साधक-सिद्धों को इसलिए भी राम जी का भजन, पूजा-पाठ जरूरी है कि हमने ईष्ट हनुमान जी को बनाया है तो महा ईष्ट के सामने ईष्ट की पूजा नहीं होती। अर्थात् गुरु के समक्ष शिष्य की पूजा नहीं होती। स्वामी के समक्ष सेवक की पूजा नहीं होती, इसलिए पहले राम का नाम लें फिर हनुमान जी की पूजा करें।

- श्री देवी प्रसाद महाराज, पूर्व प्रधान पुजारी, शारदा शक्तिपीठ मैहर, सतना, मध्यप्रदेश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.