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Gopashtami 2019: आज गोपाष्टमी के दिन करें गायों की पूजा, इंद्र के पराजय से जुड़ी है घटना

Gopashtami 2019 गौ और ग्वालों की पूजा को समर्पित गोपाष्टमी आज मनाई जा रही है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 11:09 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 08:57 AM (IST)
Gopashtami 2019: आज गोपाष्टमी के दिन करें गायों की पूजा, इंद्र के पराजय से जुड़ी है घटना
Gopashtami 2019: आज गोपाष्टमी के दिन करें गायों की पूजा, इंद्र के पराजय से जुड़ी है घटना

Gopashtami 2019: गौ और ग्वालों की पूजा को समर्पित गोपाष्टमी आज मनाई जा रही है।  हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जाता है। गोपाष्टमी मुख्य रूप से मथुरा, ब्रज और वृंदावन क्षेत्र में मनाया जाने वाला उत्सव है। इस दिन गाय, बछड़े और ग्वालों की विशेष पूजा की जाती है। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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गोपाष्टमी कथा

भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक इंद्र के प्रकोप से गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर धारण किए रहे। अष्टमी के दिन इंद्र ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली, उनका अहंकार टूट गया और वे श्रीकृष्ण के शरण में आ गए।

कार्तिक शुक्ल अष्टमी को कामधेनु ने भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया। उस दिन भगवान श्रीकृष्ण गोविन्द कहलाए। उस दिन के बाद से ही हर वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा।

गोपाष्टमी पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार, कार्तिक शुक्ल अष्टमी यानी सोमवार सुबह गायों को स्नान कराएं। इसके बाद उनको पुष्प, अक्षत्, गंध आदि से विधि पूर्वक पूजा करें। फिर ग्वालों को वस्त्र आदि देकर उनका भी पूजन करें। इसके बाद गायों को ग्रास दें और परिक्रमा करें। परिक्रमा करने के बाद गायों के साथ कुछ दूर जाएं। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ऐसा करने से बढ़ेगा सौभाग्य

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी की शाम को जब गायें चरकर वापस आएं तो उनका पंचोपचार पूजन करें, भोजन दें और उनकी चरण रज को माथे पर धारण करें। ऐसा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।

गोपाष्टमी मुहूर्त

अष्टमी तिथि 04 नवंबर दिन सोमवार को तड़के 02 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जिसका समापन 05 नवंबर दिन मंगलवार को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है।

गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा के साथ ही उनके पैरों के नीचे से निकलने का भी विधान है, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। गाय का दूध अमृत के समान होता है, वहीं, उसका गोबर और मूत्र भी बहुपयोगी होता है। गोपाष्टमी उत्सव गायों के सरंक्षण से भी जुड़ा है।


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