Durga Saptashati: दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इन बातों का रखें खास ख्याल
Durga Saptashati नवरात्रि की पूजा करते समय पूरे नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद लाभप्रद माना जाता है। नवरात्रि में इसका पाठ करना बेहद ही विशेष महत्व रखता है। ऐसे में इस दौरान पूजा करते समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
Durga Saptashati: नवरात्रि की पूजा करते समय पूरे नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद लाभप्रद माना जाता है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद ही विशेष महत्व रखता है। अत: हर घर में इस दौरान पूजा करते समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। अगर आप भी दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इन पर रखें खास ख्याल:
1. दुर्गा सप्तशती पाठ में दिए गए श्लोकों का उच्चारण एकदम सटीक किया जाना चाहिए। शब्द एकदम स्पष्ट होने चाहिए। इसका पाठ आप मन ही मन में भी कर सकते हैं। जरूरी नहीं है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ जोर-जोर से ही किया जाए।
2. इसका पाठ करते समय व्यक्ति का शुद्ध होने आवश्यक है। जहां आप बैठे हों वह साफ होनी चाहिए। साथ ही जब आप पाठ कर रहे हों तो पैरों को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
3. जमीन पर बैठकर पूजा न करें। पूजा हमेशा कुश के आसन पर बैठकर ही की जानी चाहिए। अगर कुश का आसन न हो तो आप कंबल बिछाकर या फिर ऊनी चादर का भी उपयोग कर सकते हैं।
4. पाठ करते समय बिना सिले हुए कपड़े ही पहनें। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर इस दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
5. पाठ करने के लिए बैठने से पहले घर के सभी जरूरी काम निपटा लें। इस दौरान मन में कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। सच्चे मन के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
6. दुर्गा सप्तशती के पाठ में 3 चरित्र यानी 3 खंड होते हैं जिनमें प्रथम चरित्र, मध्य चरित्र, और उत्तम चरित्र शामिल हैं। प्रथम चरित्र में पहला अध्याय आता है। मध्यम चरित्र में दूसरे से चौथा अध्याय और उत्तम चरित्र में 5वें से लेकर 13वां अध्याय आता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कम से कम एक चरित्र पूरा करना चाहिए। अगर आप तीनों चरित्र एक साथ पूरे कर सकते हैं तो उत्तम होगा।
7. कवच, कीलक और अर्गलास्तोत्र, नवार्ण मंत्र, और देवी सूक्त का पाठ दुर्गा सप्तशती से पहले करना चाहिए। अगर आप किसी दिन आपके पास पूरा पाठ करने का समय नहीं है तो कुंजिकास्तोत्र का पाठ करें। इससे मां आपकी पूजा स्वीकार कर लेती हैं।
8. पाठ के अंत में क्षमा पाठ जरूर करें जिससे जाने-अनजाने कोई भूल हो गई हो तो इससे वो सही हो जाए।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '