Durga Pratima Visarjan 2019 Date And Muhurat: मंगलवार को मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन, जानें क्या है मुहूर्त और विधि
Durga Pratima Visarjan दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन आज करें तो उत्तम होगा। प्रतिमा विसर्जन का शुभ मुहूर्त आज विजयादशमी या दशहरा वाले दिन बना है।
Durga Pratima Visarjan 2019 Date And Muhurat: आदिशक्ति जगदम्बा मां दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि का समापन महानवमी के साथ हो जाता है, लेकिन जिन लोगों ने अपने घरों में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की हैं, वे लोग दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन आज करेंगे, तो उत्तम होगा। इस वर्ष प्रतिमा विसर्जन का शुभ मुहूर्त मंगलवार यानी 08 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरा वाले दिन बन रहा है। इस दिन मां दुर्गा को खुशी-खुशी विदा करें और विधि विधान से उनको जल के बहते स्रोत में विसर्जित कर दें।
मंगलवार 08 अक्टूबर को मां दुर्गा का विसर्जन
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र का कहना है कि मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन हमेशा ही श्रवण नक्षत्र में करना चाहिए। श्रावण नक्षत्र का प्रारंभ सोमवार 07 अक्टूबर को रात्रि 08:38 बजे से हो रहा है, जो मंगलवार 08 अक्टूबर को रात्रि 10:32 बजे तक रहेगा।
श्रावण नक्षत्र का प्रारंभ आज रात से हो रहा है, तो दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन मंगलवार सुबह से रात्रि 10:32 बजे तक कर लेना उचित रहेगा। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शनिवार और मंगलवार को दिन श्रेष्ठ होता है।
दुर्गा प्रतिमा के विर्सजन की विधि
मंगलवार को प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात मां दुर्गा का रोज की तरह विधिपूर्वक पूजन करें। उसके उपरांत जहां पर कलश स्थापना की थी, वहां जयंती यानी कलश स्थापना के समय बोए गए जौ को उखाड़कर अपने अपने माथे पर रख लें या कान में लगा लें। फिर कलश के अमृत जल को वहां और आपने घर में छिड़क दें।
फिर माता रानी के जयकारे के साथ दुर्गा प्रतिमा को नदी या बड़े तालाब के किनारे ले जाएं। वहां पर मां दुर्गा की आरती करें। फिर मां दुर्गा से पूजा में हुई भूल आदि के लिए क्षमा मांग लें। इसके पश्चात मां दुर्गा की प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दें।
अमृत है कलश का जल
विधि विधान से स्थापित किए गए कलश में 9 दिनों तक सर्वौषधि, पंचरत्न, सुपारी, दूर्वा आदि द्रव्यों को डाला जाता है। इसके कारण कलश का जल अमृतमय हो जाता है। मंत्रोच्चार के साथ अमृत रूपी जल से अभिषेक किया जाता है। वह अमृत रूपी जल सभी पापों और रोगों को नष्ट कर देता है।