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शनिवार को पूजा करते समय शनि कवच समते इन मंत्रों का जरूर करें जाप

शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि कवच समते इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Published: Fri, 11 Feb 2022 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 12 Feb 2022 08:59 AM (IST)
शनिवार को पूजा करते समय शनि कवच समते इन मंत्रों का जरूर करें जाप
शनिवार को पूजा करते समय शनि कवच समते इन मंत्रों का जरूर करें जाप

धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि शनिदेव अच्छे कर्म करने वालों को मनोवांछित फल देते हैं, तो बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं। इसके लिए उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। जब शनि देव बुरे कर्म करने वाले को दंड देते हैं, तो उनके जीवन में विषम परिस्थिति पैदा हो जाती है। व्यक्ति लाख चाहकर जीवन में तरक्की नहीं कर पाता है। वहीं, शनिदेव की कृपा पाने वाले जातक के जीवन में केवल मंगल और मंगल ही होता है। इसके लिए साधक शनिवार को विधिपूर्वक शनि देव की पूजा-उपासना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दु:ख और दर्द दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन पूजा करते समय शनि कवच समते इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए जानते हैं-

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शनि कवच

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।1

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:। 7

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।10

1. शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

2. शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

3. शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

4. शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

5. सेहत के लिए शनि मंत्र

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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