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Chaitra Navratri 2023 4th Day: आज मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें उनके स्तोत्र और आरती का पाठ

Chaitra Navratri 2023 आज चैत्र नवरात्रि का चौथा और महत्वपूर्ण दिन है। बता दें कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन देवी कुष्मांडा की पूजा का विधान है। आज के दिन माता कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sat, 25 Mar 2023 11:01 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2023 11:01 AM (IST)
Chaitra Navratri 2023 4th Day: आज मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए जरूर करें उनके स्तोत्र और आरती का पाठ
Chaitra Navratri 2023: इन मंत्र और स्तोत्र से करें देवी कुष्मांडा की आराधना।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023 4th Day, Mata Kushmanda Mantra, Stotra and Aarti: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस समय सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कुष्मांडा से ही इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। धार्मिक मान्यता यह भी है कि मां कुष्मांडा सूर्य मंडल के भीतर लोक में निवास करती हैं। इनका स्वरूप सूर्य के समान तेजवान है और इनकी आराधना करने से आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन संध्या काल में देवी कूष्मांडा की उपासना करने से और कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए पढ़ते हैं देवी कुष्मांडा के मंत्र स्तोत्र और आरती।

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माता कुष्मांडा मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्।।

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्।।

कुष्मांडा देवी स्तोत्रम्

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।।

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।।

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।।

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मां कुष्मांडा आरती

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी।।

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।

शाकम्बरी मां भोली भाली।।

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे।।

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।।

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुँचती हो मां अम्बे।।

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा।।

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा।।

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो।।

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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