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Chaitra Navratri 2023 6th Day: आज चैत्र नवरात्रि पर्व का छठा दिन, जरूर करें मां कात्यायनी के इन मंत्रों का पाठ

Chaitra Navratri 2023 आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज के दिन माता कात्यायनी की उपासना की जाती है। शास्त्रों में माता कात्यायनी को प्रसन्न करने के कई मंत्र और स्तोत्र बताए गए हैं जिनका उच्चारण करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Mon, 27 Mar 2023 10:19 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2023 10:19 AM (IST)
Chaitra Navratri 2023 6th Day: आज चैत्र नवरात्रि पर्व का छठा दिन, जरूर करें मां कात्यायनी के इन मंत्रों का पाठ
Chaitra Navratri 2023: पढ़िए माता कात्यायनी को समर्पित मंत्र और आरती।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023, Mata Katyayani Aarti and Mantra: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की उपासना की जाती है। बता दें कि आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज के दिन देवी कात्यायनी की उपासना करने से साधक को बल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है। देवी कात्यायनी को मां भगवती का छठा स्वरूप माना जाता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने ऋषि कात्ययन के घर महिषासुर नामक दैत्य के वध हेतु इस रूप में जन्म लिया था। यही कारण है कि इन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन देवी कात्यायनी की पूजा करने से और उनके विशेष मंत्र एवं आरती का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

देवी कात्यायनी मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।।

प्रार्थना मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी।।

स्तुति- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

देवी कात्यायनी स्तोत्र

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते।।

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।

कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता।।

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।

कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा।।

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।

कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी।।

देवी कात्यायनी आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा।।

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते।।

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।।

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये।।

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।।

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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