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Mahagauri, Chaitra Navratri 2019: शिव की तपस्या कर दुर्गा के आठवें रूप महागौरी ने पाया कांतिपूर्ण गौर वर्ण

Chaitra Navratri 2019 में आठवें दिन होती है माता दुर्गा की अवतार Mahagauri की पूजा। जानें इनके बारे में।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 09:42 AM (IST)
Mahagauri, Chaitra Navratri 2019: शिव की तपस्या कर दुर्गा के आठवें रूप महागौरी ने पाया कांतिपूर्ण गौर वर्ण

कई नामों वाली इस देवी को शिव से मिला गौर वर्ण

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दुर्गा सप्तशती में वर्णन आता है कि शुंभ निशुंभ से पराजित होकर गंगा के तट पर देवताओं ने जिस देवी की प्रार्थना की थी वह महागौरी ही थीं। देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ था जिसने शुंभ निशुंभ के आतंक से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। देवी गौरी, भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और इस कारण वे शिवा और शाम्भवी नाम से भी पूजी जाती हैं। मां को गौर वर्ण कैसे मिला इससे जुड़ी एक रोचक कथा है। इसमें बताया गया है कि भगवान भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की जिससे इनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने इन्हें स्वीकार किया और गंगा जल की धार जैसे ही देवी पर पड़ी वे विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान और गौर वर्ण की हो गईं , तभी से उन्हें मां महागौरी नाम भी मिला।

पूजन विधि और मंत्र

नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन पूजा करने के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान करा कर वस्त्राभूषणों द्वारा  शृंगार करें, फिर हवन की अग्नि जलाकर धूप, कपूर, घी, गुग्गुल और हवन सामग्री की आहुतियां दीजिए। इस दिन सिन्दूर में एक जायफल को लपेटकर आहुति देने का भी विधान है। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य से देवी की पूजा करके जयकारे के साथ 101 परिक्रमाएं करें। कन्या पूजन करके उन्हें पूड़ी, हलवा, चने और अन्य वस्तुयें भी भेंट में दी जाती हैं। महागौरी आदि शक्ति हैं उनकी पूजा में इन मंत्रों का जाप भी करें। श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |

महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा, या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।और सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते। अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। देवी गौरी की पूजा में भी जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक पूजा की जाती है उसी प्रकार देवी की पंचोपचार सहित पूजा करते हैं।

पूजन का महत्व 

मां महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी है। इनका ध्यान करना चाहिए। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ कर इनका ध्यान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं। और असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। पुराणों में महागौरी की महिमा का काफी वर्णन मिलता है। जिसके अनुसार ये मनुष्य की वृत्तियों को सत्‌ की ओर प्रेरित करके असत्‌ का विनाश करती हैं। 


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