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Pradosh Vrat 2021 Puja Vidhi: आज इस वि​धि से करें भगवान शिव की पूजा, पढ़ें भौम प्रदोष व्रत की कथा

Pradosh Vrat 2021 Puja Vidhi माघ के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज है। मंगलवार होने के कारण आज भौम प्रदोष व्रत है। इस दिन कर्ज से मुक्ति के लिए प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। जानें इसकी पूजा विधि और भौम प्रदोष व्रत की कथा।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 06:32 AM (IST)
Pradosh Vrat 2021 Puja Vidhi: आज इस वि​धि से करें भगवान शिव की पूजा, पढ़ें भौम प्रदोष व्रत की कथा
Pradosh Vrat 2021 Puja Vidhi: आज इस वि​धि से करें भगवान शिव की पूजा, पढ़ें भौम प्रदोष व्रत की कथा

Pradosh Vrat 2021 Puja Vidhi: माघ के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज है। मंगलवार होने के कारण आज भौम प्रदोष व्रत है। इस दिन कर्ज से मुक्ति के लिए प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करने का विधान है क्योंकि वे स्वयं रुद्रावतार हैं। यदि आप आप भौम प्रदोष का व्रत हैं तो आपको विधि विधान से भोलेनाथ और हनुमान जी की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। इसके साथ आपको भौम प्रदोष व्रत की कथा का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। ऐसा धार्मिक मान्यता है कि व्रत कथा का पाठ करने से व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

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भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

आज आपको शाम 06 बजकर 07 मिनट से रात 08 बजकर 42 मिनट के बीच प्रदोष व्रत की पूजा कर लेनी चाहिए। आज शिव जी तथा हनुमान जी की पूजा के लिए कुल 02 घंटे 35 मिनट का समय प्राप्त है।

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

त्रयोदशी के दिन आप स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव तथा हनुमान जी की दैनिक पूजा कर लें। फिर दिनभर व्रत रहें। फलाहार करें तथा शिव भक्ति में अपना समय व्यतीत करें। फिर शाम के समय में शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए किसी शिव मंदिर या फिर पूजा घर में भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करें। भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर उनको चंदन लगाएं। भांग, धतूरा, बेलपत्र, मदार, शहद, गाय का दूध आदि अर्पित कर दें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।

फिर हनुमान जी को तिलक लगाएं, अक्षत्, धूप, दीप, पुष्प अर्पित करें। हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद शिव चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर भौम प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती तथा हनुमान जी की आरती करें।

भौम प्रदोष व्रत की कथा

एक समय एक नगर में एक वृद्ध महिला थी। उसको एक बेटा था। वह वृद्धा संकटमोचन हनुमान जी की भक्त थी। प्रत्येक दिन वह हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी के मन में आया कि क्यों न इस भक्त की परीक्षा ली जाए।

एक दिन हनुमान जी ने एक साधु का वेश धारण किया और उस वृद्धा के घर पहुंच गए। उन्होंने आवाज दी। कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण करेगा। आवाज सुनकर वृद्धा जल्दी से घर के बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम कर उनकी इच्छा पूछी।

हनुमान जी ने कहा कि वे बहुत भूखे हैं, भोजन करना चाहते हैं। तुम जमीन लीप दो। इस पर वृद्धा ने कहा कि इसके अलावा कोई अन्य कार्य कहें, उसे वह कर देगी। तब हनुमान जी ने उससे पहले कार्य पूर्ण करने का वचन लिया। फिर कहा कि अपने बेटे को बुलाओ। उसकी पीठ पर उनके भोजन के लिए आग जला दो। यह सुनकर वह परेशान हो गई। वचनबद्ध होने के कारण उसने बेटे को बुलाया।

हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटाकर पीठ पर आग जलवा दिया। यह देखकर वृद्धा घर में चली गई। कुछ देर बाद हनुमान जी ने उसे फिर आवाज दी। घर से बाहर आने पर हनुमान जी ने उससे कहा कि भोजन तैयार है। अपने बेटे को बुला लो, वह भी भोग लगा लेगा।

वृद्धा ने तो बेटे की पीठ पर जलती हुई आग देखी थी। उसने कहा कि ऐसा बोलकर आप और कष्ट न दें। हनुमान जी ने कहा कि बेटे को बुलाओ। वृद्धा ने बेटे को आवाज लगाई। वह तुरंत वहां आ गया। बेटे को सकुशल देखकर वह आश्चर्यचकित थी। वह हनुमान जी के चरणों में नतमस्तक हो गई। इस पर हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और आशीर्वाद देकर चले गए।


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