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Basant Panchami 2023: इस दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा बसंत पंचमी पर्व, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Basant Panchami 2023 हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी पर्व का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर माता सरस्वती की पूजा का विधान है। पंचांग के अनुसार इस पर्व को माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sat, 07 Jan 2023 01:34 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jan 2023 01:34 PM (IST)
Basant Panchami 2023: जानिए वर्ष 2023 में किस दिन मनाया जाएगा बसंत पंचमी पर्व।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Basant Panchami 2023 Date: हिन्दू धर्म में माता सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें वाणी, विद्या एवं संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता सरस्वती की उपासना करने से भक्तों को ज्ञान, विद्या और कला का आशीर्वाद मिलता है। माता सरस्वती की पूजा के लिए बसंत पंचमी पर्व को सबसे उत्तम माना जाता है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस माता सरस्वती की उपासना एवं शास्त्रों में दिए गए मंत्रों का उच्चारण करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं वर्ष 2023 में किस दिन मनाया जाएगा बसंत पंचमी पर्व।

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बसंत पंचमी तिथि (2023 Basant Panchami Date)

पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी पर्व माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2023 में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 26 जनवरी को प्रातः 08 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 2023 पर्व को 25 जनवरी, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार माता सरस्वती की पूजा का समय सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट के मध्य रहेगा।

बसंत पंचमी पूजा विधि (Basant Panchami 2023 Puja Vidhi)

  • शास्त्रों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। साथ ही पूजा के लिए साफ पीले अथवा सफेद रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।

  • इसके उपरांत पूजा-स्थान पर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें और फिर गंगाजल से स्थान को शुद्ध करें। इन सबके साथ माता को पीले रंग की चुनरी जरूर अर्पित करें।

  • पूजा के समय माता को अक्षत, श्वेत चंदन, पीले रंग की रोली, पीला गुलाल और पुष्प, धूप, दीप, गंध अर्पित करें। साथ ही पीले रंग के मिठाई का भोग चढ़ाएं।

  • विधिवत पूजा के साथ सरस्वती वंदना का पाठ करें और अंत में आरती अवश्य करें। शास्त्रों में बताया गया है कि आरती के बिना पूजा सफल नहीं होती है। अंत में क्षमा मांगे और फिर परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांट दें।

बसंत पंचमी मंत्र (Maa Saraswati Vandana)

* या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

* शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।।

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌।।

Pic Credits: Freepiks

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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