Ashadha Gupt Navratri 2020: आज है गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन, जानें-मां स्कंदमाता की पूजा-विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
Ashadha Gupt Navratri 2020 मां की महिमा अपरंपार है। मां के मुख मंडल पर अलौकिक दिव्य शक्ति प्रकाशित होती है जो शक्ति और ममता को परिभाषित करती है।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Ashadha Gupt Navratri 2020: आज गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक ग्रन्थों में स्कंदमाता को मोक्ष का द्वार खोलने वाली माता कहा गया है। अतः साधकों को स्कंदमाता की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए, जिससे साधक को मृत्यु लोक और मृत्यु उपरांत अन्य लोक में भी सुख और आनंद की प्राप्ति हो। मां की महिमा निराली है, वह समस्त मानव समाज का कल्याण करती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मां को याद करता है, मां उसकी पुकार को जरूर सुनती है और साधक के सभी दुःख और दर्द दूर कर देती हैं।
स्कंदमाता का स्वरूप
मां की महिमा अपरंपार है। मां के मुख मंडल पर अलौकिक दिव्य शक्ति प्रकाशित होती है, जो शक्ति और ममता को परिभाषित करती है। मां चारभुजा धारी है, जिनमें एक भुजा में कमल पुष्प, दूसरे में भी कमल पुष्प है, जबकि तीसरा भुजा वरमुद्रा में है। मां का वाहन सिंह है।
महत्व
भगवान स्कन्द की माता होने के कारण माता पार्वती को स्कंदमाता कहा जाता है। अगर कोई साधक मां की भक्ति सच्ची श्रद्धा और भाव से करता है तो साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक को धन-दौलत, सुख सोहरत प्राप्त होता है। अतः स्कंदमाता की पूजा सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करनी चाहिए।
पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल उठें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात हथेली में जल रखकर ॐ पवित्राय नमः मंत्र का उच्चारण कर आमचन करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद मां की स्तुति निम्न मन्त्र से करें।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अब मां की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अवश्य भेंट करें। अतं में आरती और अपने परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करें। दिन भर व्रत रखें। साधक चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। व्रत के दौरान अन्न का प्रयोग न करें। शाम में आरती अर्चना के पश्चात फलाहार करें।