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Amalaki Ekadashi 2020 Katha: आमलकी एकादशी को पढ़ें यह कथा, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 11:00 AM (IST)
Amalaki Ekadashi 2020 Katha: आमलकी एकादशी को पढ़ें यह कथा, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Amalaki Ekadashi 2020 Katha: भगवान विष्णु को समर्पित आमलकी एकादशी व्रत 06 मार्च दिन शुक्रवार को है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। आमलकी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि ही आमलकी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है। आज के दिन भगवान विष्णु को आंवले का फल भी अर्पित किया जाता है, इससे वे बेहद प्रसन्न होते हैं। जो लोग आज व्रत रखते हैं उनको आमलकी एकादशी की कथा अवश्य ही सुननी चाहिए।    

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आमलकी एकादशी कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब इस सृष्टि का सृजन हुआ तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए। उनके मन में जिज्ञासा हुई कि वे कौन हैं और उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है। इसका जवाब जानने के लिए वे भगवान विष्णु की तपस्या में लीन हो गए। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनको तपदर्शन दिए।

इससे ब्रह्मा जी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। वे आंसू उनके चरणों पर गिरे और उससे आंवले का पेड़ उत्पन्न हो गया। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने कहा कि आपके आंसुओं से उत्पन्न यह पेड़ और इसके फल मुझे अत्यंत प्रिय होंगे। भगवान विष्णु ने कहा कि आज से जो भी व्यक्ति आमलकी एकादशी का व्रत रखेगा और आंवले के पेड़ की विधिपूर्वक पूजन करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसके मोक्ष की प्राप्ति होगी।

आमलकी एकादशी की दूसरा कथा

प्राचीन काल में चित्रसेन नाम के एक राजा थे। उनके राज्य में लोग एकादशी व्रत रखते थे। प्रजा के साथ राजा चित्रसेन भी एकादशी का व्रत रखते थे। एक दिन राजा चित्रसेन जंगल में शिकार खेल रहे थे, खेलते-खेलते वे जंगल में काफी दूर निकल गए।

वहां पर राक्षसों ने राजा पर हमला कर दिया, हालांकि उनके हमले का राजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन धीरे-धीरे जब राक्षसों की संख्या बढ़ गई तो उनके हमले से राजा अचेत होकर धरती पर गिर गए। गिरते ही उनके शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिसने सभी राक्षसों का अंत कर दिया। फिर वो दिव्य शक्ति अदृश्य हो गई।

राजा चित्रसेन जब होश में आए तब उन्होंने देखा की सभी राक्षस मरे पड़े हैं। वे आश्चर्यचकित थे। वे सोच रहे थे कि उनकी मदद किसने की और इन दुष्टों का संहार किसने किया। तभी आकाशवाणी हुई कि ये समस्त राक्षस तुम्हारे किए गए आमला एकादशी व्रत के प्रभाव से मारे गए हैं। यह जानकर राजा चित्रसेन अत्यंत प्रसन्न हुए। इस घटना के बाद से राजा ने अपने राज्य से बाहर भी आमला एकादशी व्रत का प्रचार कराया। 


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