Ahoi Ashtami 2020 Katha: अहोई अष्टमी के दिन जरूर सुनें यह व्रत कथा, संतान को मिलता है पुण्य लाभ
Ahoi Ashtami 2020 Katha अहोई अष्टमी का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। पूजा के समय अहोई अष्टमी व्रत कथा सुनने का विधान है। इसके बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता है।
Ahoi Ashtami 2020 Katha: अहोई अष्टमी का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस दिन संतान की सुरक्षा तथा सुखद भविष्य के लिए माताएं व्रत रखती हैं तथा शुभ पूजा मुहूर्त में अहोई माता की पूजा आराधना करती हैं। पूजा के समय अहोई अष्टमी व्रत कथा सुनने का विधान है। इसके बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता है। महिलाएं कथा सुनने के बाद तारों को जल अर्पित करने के बाद पारण कर व्रत को पूरा करती हैं। आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी की व्रत कथा क्या है।
अहोई अष्टमी की कथा
एक समय की बात है। एक नगर में एक साहूकार अपने भरेपूरे परिवार के साथ रहता था। उसके 7 बेटे, एक बेटी और 7 बहुएं थीं। दिवाली से पूर्व उसकी बेटी अपनी भाभियों के साथ साफ और अच्छी मिट्टी लेने जंगल गई, ताकि घर की लिपाई ठीक से होगी। मिट्टी निकालते समय खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इससे दुखी स्याी माता ने साहूकार की बेटी को श्राप दे दिया कि वह मां नहीं बन सकेगी। श्राप से उसका कोख बांध दिया।
तब साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा कि उनमें से कोई एक अपनी कोख बांध ले। सबसे छोटी भाभी इसके लिए तैयार हो गई। उस श्राप के कारण जब भी वह बच्चे को जन्म देती थी, वह सात दिन तक ही जीवित रहता था। इससे परेशान होकर उसने एक पंडित से उपाय पूछा। उसने सुरही गाय की सेवा करने को कहा।
उसने सुरही गाय की सेवा की। इससे प्रसन्न गो माता उसे स्याह माता के पास लेक जाती है। तभी रास्ते में एक सांप गरुड़ पक्षी के बच्चे को डसने वाली होती है, तभी वह महिला उसे मार देती है। उसी समय गरुड़ पक्षी वहां आती है, उसे लगता है कि उस महिला ने उसके बच्चे को मार दिया है। वह महिला के सिर पर चोच मारने लगती है। तब महिला बताती है कि उसके बच्चे सुरक्षित हैं। उसने सांप से तुम्हारे बच्चों की रक्षा की है। यह बात जानकर तथा उस महिला की पीड़ा सुनकर गरुड़ पक्षी उसे स्याह माता के पास ले जाती है।
साहूकार की छोटी बहू की सेवा भाव तथा दूसरे के बच्चों की सुरक्षा करने की भावना से स्याहु माता प्रभावित होती हैं। वे उसे 7 बच्चों की माता बनने का वरदान देती हैं। उनके आशीष से छोटी बहू को 7 बेटे होते हैं और उनकी 7 बहुएं होती हैं। उसका भरापूरा परिवार हो जाता है। वह सुखपूर्वक रहती है।